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मोदी कैबिनेट: यूपी को साधने की कोशिश

लखनऊ | समाचार डेस्क: मोदी कैबिनेट में हुये फेरबदल में यूपी चुनाव का पूरा ध्यान रखा गया है. उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देजनर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी बिसात बिछाने में जुट गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी नजर उप्र मिशन 2017 पर है. इसी वजह से उन्होंने उत्तर प्रदेश से तीन नए चहरे- अनुप्रिया पटेल, डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और कृष्णा राज को मंत्रिमंडल में जगह दी है.

चुनावी रणनीतिकार भी मंत्रिमंडल विस्तार को इसी नजर से देखते हैं. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए उप्र में जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है.

वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव के बाद मोदी मंत्रिमंडल का यह दूसरा विस्तार है. इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तर प्रदेश का खासतौर पर ध्यान रखा गया है.

इस बार मंत्रिमंडल में मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को जगह दी गई है. वह अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल की बेटी और अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. पूर्वाचल में करीब दो दर्जन जिलों में पटेल बिरादरी का अच्छा खासा जनाधार है.

लोकसभा चुनाव के दौरान अनुप्रिया पटेल का लाभ भी भाजपा को मिला था, लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में पहले जगह नहीं मिलने से कुर्मी वोटों के बंटने की आशंका बन गई थी.

वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनुप्रिया को मंत्री बनाकर मोदी ने कुर्मी समाज को साथ लेकर चलने का संदेश दिया है.

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के गृह जनपद चंदौली से सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय भी मोदी कैबिनेट में जगह पाने में कामयाब रहे. पांडेय पूर्वाचल में ब्राह्मण समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं.

आगरा से सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया के इस्तीफे के बाद अब शाहजहांपुर से सांसद कृष्णा राज मोदी सरकार में दलित चेहरा होंगी. वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़ा चेहरा हैं. कृष्णा राज पहली बार सांसद चुनी गईं हैं.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि जहां तक नए चेहरों को शामिल करने का सवाल है तो डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय पहले भी मंत्री रह चुके हैं. यह कोई नई बात नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश शुक्ला ने कहा कि मंत्रिमंडल में जिन चेहरों को शामिल किया गया है, उससे साफ है कि प्रदेश में जातीय समीकरण बनाने की कवायद शुरू हो गई है. अनुप्रिया पटेल, कृष्णा राज दोनों ऐसी नेता हैं, जिनका अपने-अपने क्षेत्रों में काफी प्रभाव है. ये दर्जन भर सीटों पर परिणाम प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा महेंद्र नाथ पांडेय के जरिए ब्राह्मणों को साधने की कवायद की गई है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्रीय मत्रिमंडल से कलराज मिश्रा की छुट्टी हो सकती है. ऐसे में ब्राह्मण समुदाय के तुष्टिकरण के लिए पांडेय को मंत्री बनाया गया है.

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