स्वास्थ्य

रोगों से छुटकारा दिलाती है तुलसी

लखनऊ | एजेंसी: आयुर्वेद ही नहीं, अब एलोपैथी भी तुलसी के गुणों को मानने लगी है. विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है कि तुसली मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है और मलेरिया, डेंगू, खांसी, सर्दी-जुकाम आदि विभिन्न जानलेवा बिमारियों से बचाती है.

तुसली के इन्हीं गुणों से आकर्षित होकर कानपुर के जाजमऊ निवासी रामेश्वर कुशवाहा ने कई वर्षो तक इसके गुणों पर शोध किया और कुछ जड़ी-बूटियों का सम्मिश्रण विशेष पंच तुलसी अर्क, पंचामृत तैयार किया. यह अर्क काफी लोगों को रोग मुक्त कर चुका है.

कुशवाहा बताते हैं कि 14 वर्ष पहले तुलसी पौधों के गुणकारी नुस्खे उन्होंने आयुर्वेद की एक किताब में पढ़ी तो इस पर शोध की जिज्ञासा जगी. इसके बाद उन्होंने इस पर शोध शुरू किया. इस दौरान उन्होंने आसवन विधि से तुसली अर्क तैयार किया. इस अर्क से वह अलग-अलग बीमारियों का उपचार कर हजारों मरीजों को फायदा दिला चुके हैं.

उन्होंने बताया कि उन पर एक समय तुलसी के पौधे बांटने की धुन सवार हुई. इस शौकिया मुहिम का रंग ऐसा चढ़ा कि कारोबार भी पीछे छूट गया और अब दो साल से कारोबार बेटे के हवाले कर वह लोगों को नि:शुक्ल अर्क वितरित कर रहे हैं.

वह कहते हैं कि तुलसी का विशेष अर्क पंच अमृत यानी रामा, श्यामा, बरबरी, कपूरी व जंगली पांच तरह की तुलसी के पौधों की पत्तियों को मिश्रित कर तैयार किया जाता है. इनकी पत्तियों को गर्म पानी के ड्रम में डालकर वाष्प के जरिए अर्क निकालकर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से अलग-अलग बीमारियों में उपचार के लिए तैयार करते हैं.

उन्होंने बताया कि यह अर्क ब्लड कोलेस्ट्रोल, एसिडिटी, पेचिस, कोलाइटिस, स्नायु दर्द, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, उल्टी-दस्त, कफ, चेहरे की क्रांति में निखार, मुंहासे, सफेद दाग, कुष्ठ रोग, मोटापा कम, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, मलेरिया, खांसी, दाद, खुजली, गठिया, दमा, मरोड़, आंख का दर्द, पथरी, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, पायरिया, शुगर, मूत्र संबंधी रोग आदि रोगों में फायदेमंद है. लेकिन गर्भवती महिलाओं द्वारा इसके सेवन व कुछ बीमारियों में इस्तेमाल के तरीके अलग हैं. इसलिए सावधानी व परामर्श भी जरूरी है.

तुलसी अर्क पर शोध करने वाले कुशवाहा कहते हैं कि सुबह व शाम दो बूंद अर्क का नियमित सेवन करने से रोग नहीं पकड़ते हैं. यही नहीं, तुलसी के पत्तों की चाय भी काफी असरकारक होती है.

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