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क्या भाजपा-शिव सेना गठबंधन टूट जायेगा?

मुंबई | एजेंसी: महाराष्ट्र में विधानसभा के सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा-शिवसेना में सहमति बनती नहीं दिख रही है. दोनों ही दलों के नेता गठबंधन बनाये रखने पर जोर दे रहें हैं परन्तु सीटों से समझौता करने को तैयार नहीं हैं. जाहिर सी बात है कि इससे गठबंधन खतरें में पड़ सकता है. लोकसभा चुनावों में परचम फैलाने वाली भाजपा पहले की तुलना में ज्यादाद सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती है वहीं, शिवसेना अगले मुख्यमंत्री बनने के लिये उद्धव ठाकरे का नाम आगे बढ़ा रहीं है.

महाराष्ट्र में भाजपा और शिव सेना के बीच 25 वर्ष पुराना गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर टूटने के कगार पर पहुंच गया है. पार्टी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. दोनों दल गठबंधन जारी रखने को लेकर आज दिन भर लगातार बैठकें कर रहे हैं.

भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “गठबंधन टूटने की कगार पर है, बस औपचारिक घोषणा बाकी है.”

शिव सेना के एक कार्यकर्ता ने संकेत दिया कि ऐसा लगता है गठबंधन के दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन पार्टी ने अपना रुख साफ करने से पहले थोड़ा इंतजार करने का निर्णय लिया है.

हालांकि, शुक्रवार सुबह इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद आशा की एक नई उम्मीद जगी है.

गठबंधन बचाने को लेकर समझौते का कोई नया फॉर्मूला लेकर गडकरी के शुक्रवार दोपहर मुंबई पहुंचने की संभावना है.

मामला मुख्य तौर पर सीटों के बंटवारे का है. इसके अलावा, शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाए.

भाजपा द्वारा शिव सेना को सौंपे गए फॉर्मूले के मुताबिक, राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से वह और शिवसेना 135-135 पर चुनाव लड़ें और बाकी 18 सीटें गठबंधन के छोटे दलों को दी जाए.

वहीं, शिव सेना ने भाजपा को 119 सीटों का प्रस्ताव दिया है, जिसमें अन्य छोटे दलों को मिलने वाली सीटें भी शामिल हैं. भाजपा ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है.

भाजपा ने इस बात पर भी चुप्पी साध रखी है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री किस पार्टी से होगा.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में गुरुवार को अपनी जनसभाओं में संकेत दिया था कि प्रदेश में अगली सरकार भाजपा की बनेगी, जिसमें उन्होंने गठबंधन दलों का कोई जिक्र नहीं किया था. इसके बाद भाजपा ने शिव सेना को कथित तौर पर 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, जिसे गुरुवार देर रात शिव सेना खारिज कर दिया.

एक आपात बैठक के बाद शिव सेना ने गठबंधन जारी रखने या तोड़ने को लेकर अंतिम फैसला उद्धव ठाकरे पर छोड़ दिया.

गठबंधन की चिंता को दरकिनार कर दोनों दलों ने शनिवार से उम्मीदवारों के नामांकन शुरू करने की पूरी तैयारी कर ली है.

गठबंधन के दोनों दलों के बीच गतिरोध से प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य ही बदल गया है. पूरे मामले पर सत्तारूढ़ कांग्रेस की नजर बनी हुई है.

महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा और शिव सेना के बीच गठबंधन टूटता है, तो इससे गठबंधन में मौजूद छोटे दलों रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ए और स्वाभिमानी संगठन के भविष्य पर आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं.

दोनों ही दलों के नेता भाजपा और शिव सेना के बीच गतिरोध तोड़ने के लिए प्रयासरत हैं.

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