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जिंदा होगा खालिस्तान

चंडीगढ़: बम धमाकों में 9 लोगों की जान लेने वाले खालिस्तानी आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी को लेकर गृह मंत्रालय पशोपेश में है. मामला पंजाब के उन खालिस्तान समर्थकों से जुड़ा हुआ है, जो भुल्लर की मौत की आड़ में एक बार फिर से इस आंदोलन को हवा दे सकते हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी भुल्लर को फांसी नहीं दिये जाने की मांग की है और उनका भी यही तर्क है कि अगर भुल्लर को फांसी मिली तो देश और विदेश में बसने वाले खालिस्तान समर्थकों को अपने आंदोलन को फिर से तेज करने का एक अनुकूल अवसर मिल जायेगा.

पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को भले दबा दिया गया हो, यूरोप और अमरीका में बसे कई सिखों के मन में अब भी यह आंदोलन जिंदा है. पंजाब की एक बड़ी आबादी सत्ता के दबाव में भले चुप हो लेकिन उनके मन में भी कहीं न कहीं खालिस्तान को लेकर एक कसक तो है ही. इसके अलावा केपीएस गिल के जमाने में फर्जी मुठभेड़ों में मारे गये चरमपंथियों के परिजन तो खालिस्तान के आंदोलन को सीने से लगाये हुये हैं ही.

बब्बर खालसा, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, कमागातामारू दल जैसे विदेशों में सक्रिय संगठन और वाधवा सिंह जैसे चरमपंथियों के बारे में कहा जा रहा है कि ये लगातार सक्रिय हैं और कोई भी अनुकूल अवसर मिलने पर पंजाब में फिर से स्थितियां बेकाबू हो सकती हैं. कहा तो यह भी जाता है कि पाकिस्तान ने पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जावेद नसीर को पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अध्यक्ष बना कर खालिस्तान आंदोलन को सीधे-सीधे आईएसआई से जोड़ दिया है. ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, भारत के गृह मंत्रालय और खालिस्तान समर्थकों की निगाहें देविंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी पर लगी हुई हैं.

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