राष्ट्र

विपक्ष को निपटाने कहा गया?

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि सीबीआई को विपक्ष को निपटाने कहा गया है. बकौल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उन्हें इसकी जानकारी सीबीआई के ही एक अधिकारी ने दी है. इसे पहले भी सत्ता पक्ष पर सीबीआई का राजनीतिक दुरुपयोग करने के आरोप लगते रहें हैं. यूपीए शासनकाल में भाजपा आरोप लगाती थी कि कांग्रेस सीबीआई का राजनीतिक उपयोग कर रही है. अब बारी भाजपा की है कि वह वहीं आरोप झेले.

अरविंग केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया है कि, “एक सीबीआई के अधिकारी ने कल मुझे बताया है कि सीबीआई से विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधने और जो सरकार की बात ना माने उन्हें ख़त्म करने के लिए कहा गया है.”

इससे पहले सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दफ्तर पर छापा मारा था. जाहिर है कि केजरीवाल का हालिया बयान राष्ट्रीय राजनीति में फिर से भूचाल ला देगा. यह दिगर बात है कि क्या वाकई में सीबीआई को ऐसा आदेश दिया गया है या नहीं? शायद यह कभी इसका तथ्य धरातल पर नहीं आ पायेगा. परन्तु यह तय है कि इससा मोदी सरकार के खिलाफ ज़मकर उपयोग किया जायेगा.

हाल के समय में, ख़ासकर बिहार चुनाव के समय से विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ़ एकजुट होता जा रहा है. चाहे मुद्दा बीफ़ का हो या गुलाम अली का. बहुत कम समय में ही मोदी सरकार के ख़िलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई है.

मुद्दा यह नहीं है कि सीबीआई को विपक्ष को निपटाने के लिये कथित रूप से कहा गया है. मुद्दा है कि क्या वाकई में सीबीआई के पास इतनी कुव्वत है कि भारत जैसे लोकतंत्र में विपक्ष को निपटा दें. हां, यह हो सकता है कि सीबीआई विपक्षी नेताओं पर जांच करने लगे. मगर जांच तो तभी हो सकता है जब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष का नेता किसी भ्रष्ट्राचार या गैर कानूनी पचड़े में फंसा हुआ हो.

अन्यथा सीबीआई में यदि इतनी ही ताकत निहित होती तो भारतीय मतदाता घर बैठकर अंगूठा चूसते रहते. भारत में राजनीतिक सत्ता मतदाताओं के वोट के आधार पर तय होते हैं. सीबीआई से कथित रूप से विपक्ष को परेशान तो किया जा सकता है परन्तु उसे खत्म नहीं किया जा सकता. यदि सत्ता पक्ष में इतनी ही ताकत होती तो नीतीश कुमार हालिया चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बने होते.

बहरहाल, केजरीवाल फिर से मीडिया की सुर्खियों में हैं, सीबीआई कटघरे में है. इस बीच जनता के मुद्दे जैसे महंगाई, बेरोजगारी, मूल्य न चुका पाने के कारण जन स्वास्थ्य की बिगड़ती हालत, शिक्षा का अमीरीकरण जैसे नेपथ्य में चले गये हैं. वाह रे भारत के राजनेता! सभी मिलकर जनता के मुद्दों को निपटाने में लगे हुये हैं.

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