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जयललिता, तमिलनाडु की Iron Lady

चेन्नई | एजेंसी: जयललिता ने अपने संघर्ष से भरी राजनीतिक करियर में ‘आयरन लेडी’ का खिताब हासिल किया है. ‘आयरन लेडी’ से तात्पर्य है कि जे जयललिता ने कभी भी विपरीत परिस्थिति में हार नहीं मानी तथा लगातार आगे बढ़ने के लिये लड़ती रही. जयललिता के इसी जुझारूपन की बदौलत उसने फिर से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की है. इस बार जयललिता को कानूनी दांवपेच से उलझना पड़ा. उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय भी मोदी लहर के बावजूद उन्होंने 39 में से 37 सीट अपने पार्टी के लिये जीता था जबकि उस समय कई पार्टियां अपने जीवन के सबसे निचले पायदान पर पहुंच चुकी थी. तमिलनाडु की ‘आयरन लेडी’ कही जाने वाली जे. जयललिता ने शनिवार को पांचवी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

लगभग सात महीने के इंतजार के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को बरी कर दिया, जिसके बाद से जयललिता की वापसी को लेकर उनकी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और उनके समर्थकों के बीच जश्न और उत्साह का माहौल है.

जयललिता के समर्थकों के अनुसार, 67 वर्षीय जयललिता ने रिहाई के बाद आने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के लिए उत्साह और जोश की लहर के रूप में वापसी की है, लेकिन साथ ही उनके समक्ष कुछ चुनौतियां भी हैं.

युनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर रामू मणिवानन ने कहा, “जयललिता के सामने पहली चुनौती सरकार और शासन को वापस पटरी पर लाना है, जो 27 सितंबर, 2014 के बाद से मंत्रियों के शासन को लेकर उदासीन रवैए के कारण बेपटरी हो गई है.”

बकौल मणिवानन आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को बरी किया जाना निश्चित रूप से उनके लिए फायदेमंद है, लेकिन सिर्फ इसी एक आधार के सहारे जयललिता अगला चुनाव नहीं जीत सकती हैं.

कई लोगों का मानना है कि ओ. पन्नीरसेल्वम की सरकार जयललिता के नाम पर कल्याणकारी योजनाओं और सुशासन के माध्यम से राज्य में उनके द्वारा तैयार किए गए सकारात्मक माहौल को बरकरार रख सकती थी.

27 सितंबर, 2014 तक जयललिता के लिए सब कुछ ठीकठाक था. उन्होंने 2011 में राज्य विधानसभा चुनाव में 234 में से 217 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था और तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी थीं.

यही नहीं, मुल्लापेरियार बांध के जलस्तर के मुद्दे को लेकर केरल के खिलाफ भी तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा जीता था.

इसके अलावा, 2014 के संसदीय चुनाव में जयललिता की पार्टी ने 39 में से 37 सीटें जीत कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था.

सितंबर 2014 में बेंगलुरू की एक निचली अदालत द्वारा आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी ठहराए जाने तथा सजा सुनाए जाने के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद ओ. पन्नीरसेल्वम की सरकार तो बनी, लेकिन जयललिता द्वारा शुरू की गई नई रियायती अम्मा कैंटीन, मेट्रो रेल परियोजना जैसी कल्याणकारी परियोजनाओं के लंबित होने से विपक्ष को पार्टी पर निशाना साधने के मौके मिले.

लेकिन अन्य लोगों की तरह मणिवानन ने कहा है कि जयललिता में शासन करने की क्षमता है.

उम्मीद है कि अब एआईएडीएमके सरकार ‘अम्मा ब्रांड’ के तहत फिर से कल्याणकारी योजनाएं शुरू करेगी. यह भी माना जा रहा है कि जयललिता राधाकृष्णन नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विधानसभा में आ सकती हैं.

कर्नाटक के अयंगर परिवार में दो फरवरी, 1948 को जन्मी जे. जयललिता अपनी अभिनेत्री मां के साथ चेन्नई में बस गई थीं. उनकी शिक्षा-दीक्षा बेंगलुरू और चेन्नई के कांवेंट स्कूलों में हुई.

मां के नक्शेकदम पर चलते हुए 16 साल की उम्र में जयललिता ने भी अभिनय की दुनिया में कदम रखा और सबसे पहले तमिल फिल्म ‘वेन्निरा’ में पर्दे पर नजर आईं.

फिल्म-दर-फिल्म कामयाबी के पायदान चढ़ते हुए वह तमिल फिल्मों की अग्रणी अभिनेत्रियों में भी शुमार हुईं और उन्होंने 100 से ज्यादा तमिल, तेलुगू और कन्नड़ फिल्मों में काम किया.

राजनीति में कदम रखने के बाद यहां भी उनके करियर का ग्राफ हमेशा ऊपर की ओर रहा.

एआईएडीएम के संस्थापक एम. जी. रामचंद्रन ने 1980 में जयललिता को पार्टी का प्रचार सचिव नियुक्त किया था और 1984 में वह पहली बार राज्यसभा सांसद बनी थीं.

वर्ष 1989 में पहली बार जयललिता ने तमिलनाडु विधानसभा चुनाव जीता और इसके दो साल बाद 1991 के विधानसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर वह पहली बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं.

बाद के वर्षो में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, जिनमें आय से अधिक संपत्ति का मामला भी एक है.

राजनीतिक टिप्पणीकार चो रामास्वामी ने जयललिता के बारे में कहा, “वह वास्तव में अद्भुत हैं.” अब जयललिता के सामने चुनौती है कि जेल से वापस आने के बाद भी अपने लोकप्रियता को बनाये रखना.

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