राष्ट्र

जयललिता का निधन

चेन्नई | संवाददाता: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का सोमवार की रात निधन हो गया. उनके निधन के बाद तमिलनाडु में 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर दी गई है. दूसरी ओर एआईएडीएमके के विधायकों की एक बैठक में ओ पनीरसेल्वम को पार्टी का नया नेता चुना गया और उन्होंने देर रात राज्य के अगले मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली.

इससे पहले जयललिता की महिला मित्र शशिकला का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तावित करने की कोशिश की गई लेकिन पार्टी के विधायकों ने इसे ठुकरा दिया. माना जा रहा है कि शशिकला को पार्टी की कमान सौंपी जाएगी.

जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी 1948 को हुआ और करियर की शुरुआत 13 साल की उम्र में अंग्रेजी फिल्म से हुई. 1961 में उन्होंने ‘एपिसल’ नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया, बाद में 1964 में प्रदर्शित कन्नड फिल्म ‘चिन्नाडा गोम्बे’ से उनकी भारतीय भाषा की फिल्मों की शुरुआत हुई.

लेकिन उनकी असली पहचान तमिल फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से हुई. वे तमिल की पहली ऐसी अभिनेत्री कही जाती हैं, जिसने फिल्म में स्कर्ट पहन कर भूमिका निभाई थी. उन्होंने लगभग 300 से अधिक तमिल फिल्मों में काम किया. हालांकि उनके हिस्से हिंदी की चार फिल्में भी हैं लेकिन इससे उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली.

फिल्में बनती रहीं और वे शीर्ष अभिनेत्रियों में शुमार होती रहीं लेकिन 1982 एक ऐसा दौर रहा, जब ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता और फिल्म अभिनेता एमजी रामचंद्रन ने जयललिता को अपनी पार्टी का प्रोपेगेंडा सचिव और राज्यसभा सदस्य बनाया. रामचंद्रन के साथ के उनके रिश्ते बहुत साफ हो गये थे लेकिन पार्टी में उनका काफी विरोध हुआ और अंततः जया को प्रोपेगेंडा सचिव के पद से हाथ धोना पड़ा.

1984 में रामचंद्रन की जब तबीयत बिगड़ी तो जयललिता ने मुख्यमंत्री पद हासिल करने की कोशिश की लेकिन रामचंद्रन ने जयललिता को उपनेता पद से भी हटा दिया. 1987 में एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद जयललिता ने खुद को रामचंद्रन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. इसके बाद पार्टी दो भागों में बंट गई. एक की नेता थीं जयललिता और दूसरी की एमजी रामचंद्रन की विधवा जानकी रामचंद्रन.

जयललिता ने पहली बार सीधे-सीधे कमान संभाली और 1989 में उनकी पार्टी ने विधानसभा में 27 सीटें जीतीं. जयललिता को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला. 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के साथ मिल कर उन्होंने चुनाव लड़ा और वे राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं.

राज्य में महिलाओं को लेकर जो फैसले जयललिता ने लिये, उसके कारण उन्हें तमिलनाडु में काफी लोकप्रियता मिली. इसके अलावा भारत में अजा, अजजा और पिछड़ा वर्ग का सबसे ज़्यादा आरक्षण 69% तमिलनाडु में है. यह विधेयक जयललिता ने अपनी सरकार रहते 1993 में पास कराया था. उसी के आधार पर संविधान में 76वां संशोधन हुआ. जयललिता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे लेकिन तमिलनाडु की जनता का विश्वास बना रहा.

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