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ईरान समझौता: भारत को फायदा

नई दिल्ली | एजेंसी: ईरान के साथ अमरीका सहित अन्य पॉच देशों के अंतरिम परमाणु समझौते से भारत को तेल आयात क्षेत्र में लाभ मिलेगा. समझौते के बाद भारत ईरान से अधिक तेल का आयात कर सकता है तथा इससे तेल की वैश्विक कीमत भी घट सकती है.

भारत को हालांकि इसके अलावा और भी फायदे हैं. सूत्रों और विशेषज्ञों के मुताबिक यदि ईरान और अमरीका के रिश्ते सामान्य हो पाते हैं, तो ईरान अफगानिस्तान में सक्रिय भूमिका निभा पाएगा और तालिबान को बाहर रखने में मदद कर सकता है.

वहीं यह भी उम्मीद की जा रही है कि ईरान अफगानिस्तान में तालिबान को दबाने में भी भूमिका निभाएगा. यह समझौता रविवार को हुआ. पी5 प्लस1 समूह में शामिल हैं सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन तथा जर्मनी.

सूत्रों ने कहा कि समझौते के कारण भारत और ईरान के सामाजिक आदान-प्रदान बेहतर हो सकते हैं, जो पहले अमरीका और यूरोपीय प्रतिबंध के कारण बाधित थे.

सूत्रों के मुताबिक भारत को सऊदी अरब और इजरायल द्वारा दिखाई गई चिंता से भी परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि अमरीका के इन दोनों देशों के साथ भारत की अपेक्षा अधिक बेहतर रिश्ते हैं.

रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ और सोसायटी फॉर पोलिसी स्टडी के फेलो सी. उदय भास्कर के मुताबिक ईरान समझौते का भारत को तत्काल कोई लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन जहाजरानी बीमा पर लगाए गए प्रतिबंध में ढील देना एक सकारात्मक कदम है.

बीमा पर लगे प्रतिबंध के कारण ईरानी तेल का परिशोधन करने वाली कंपनियों को सुरक्षा नहीं मिल पा रही थी, जिसके कारण भारत को ईरान से होने वाला तेल आयात प्रभावित हो रहा था.

पूर्व भारतीय राजनयिक अरुंधती घोष ने कहा कि चूंकि समझौता सिर्फ छह महीने के लिए प्रभावी है इसलिए भारत को इससे विशेष लाभ नहीं है.

उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि सारे प्रतिबंध हटा लिए गए हैं. सिर्फ कुछ प्रतिबंध हटाए गए हैं, वह भी सिर्फ छह महीने के लिए.”

उन्होंने कहा कि समझौते का समय रणनीतिक है. इससे अमरीका को अफगानिस्तान से बाहर निकलने की योजना में मदद मिलेगी और उन्हें ईरान की ओर से एक वैकल्पिक रास्ता मिलेगा, जिसने पहले भी अमरीका को अफगानिस्तान में मदद की थी.

इन तमाम बातों के अलावा ईरान में फिर से निर्माण के कार्य शुरु होने से भारतीय कंपनियों को हिस्सेदारी मिलना तय है जिससे भारत को तो निश्चय ही आर्थिक लाभ मिलेगा. इस बात की संभावना भी व्यक्त की जा रही है कि भारत-ईरान गैस पाईप लाइन को फिर गति मिलेगी.

गौर तलब है कि भारत के ओएनजीसी तथा इंडियन ऑयल ने भी ईरान में बड़ी मात्रा में निवेश कर रखा है. देखना यह है कि यह अंतरिम समझौता क्या स्थायी समझौते में तब्दील होगा या नही. यदि समझौता स्थायी रूप धारण करता है तो भारत को दीर्घकालिक लाभ होगा.

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