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मानव कल्याण सूचकांक में पिछड़ा गुजरात

नई दिल्ली | एजेंसी: गुजरात मानव विकास से संबंधित एक सूचकांक में काफी पिछड़ गया है, दूसरी तरफ सिक्किम जैसा छोटा सा राज्य इस सूचकांक में शीर्ष पर है. इस सूचकांक में गुजरात की रैंकिंग में लगातार और भारी गिरावट आई है.

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी (जेजीयू) ने गुरुवार को नीति प्रभावोत्पादकता सूचकांक (पीईआई) जारी करते हुए कहा, “गुजरात 1981 में 35 (राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों) राज्यों में 10वें स्थान पर था, जो 2001 में 17 पर चला गया और 2011 में 24वें स्थान पर चला गया.”

इस अवसर पर मौजूद निर्णायकों में यूनिसेफ इंडिया के सलाहकार ए.के. शिवा कुमार ने कहा, “शत प्रतिशत सफाई व्यवस्था वाले सिक्किम में डायरिया के बेहद कम मामले सामने आए हैं.”

विश्वविद्यालय के भारत लोकनीति रिपोर्ट 2014 (आईपीपीआर) के तहत जारी रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों का मूल्यांकन नीतियों के परिणास्वरूप होने वाले विकास के आधार पर किया गया है.

विश्वविद्यालय ने अपने बयान में कहा, “सूचकांक बहुआयामी है और इसमें मानव कल्याण से संबंधित चार उपसूचकांक शामिल हैं : जीविकोपार्जन के अवसर, सामाजिक रूप से सार्थक जीवन, जीवन की सुरक्षा और कानून का शासन तथा जीवन स्तर में लगातार सुधार के लिए सुविधाएं.”

इस प्रथम आईपीपीआर को बुधवार को यहां योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन ने लांच किया. रिपोर्ट का प्रकाशन विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस ने मिलकर किया है.

सेन ने रिपोर्ट जारी करते हुए गुजरात की रैंकिंग में गिरावट पर कहा, “ऐसा अवसंरचना सूचकांक के कारण हुआ है. ऐसा इसलिए नहीं हुआ है, क्योंकि गुजरात में अवसंरचना सुधार पर खराब काम किया गया है, बल्कि दूसरे राज्यों द्वारा अवसंरचना पर कहीं बेहतर कार्य किए जाने की वजह से है.”

सूचकांक में केरल भी 1981 से 2011 के बीच 24वें से उतर कर 29वें स्थान पर आ गया है.

इसमें जम्मू एवं कश्मीर तथा कुछ छोटे राज्यों के स्थान में सुधार दर्ज किया गया है.

रिपोर्ट में तीन दशकों का विश्लेषण किया गया है और इसमें सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले पांच राज्यों और सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाले तीन राज्यों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

सूचकांक में अव्वल रहे पांच राज्य हैं सिक्किम, मिजोरम, गोवा, पंजाब और दिल्ली. सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में हैं ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल.

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