कलारचना

जावेद ने मुंबई को स्वच्छ करने की ठानी

मुंबई | मनोरंजन डेस्क: कवि दुष्यंत की कविता “कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता ,एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों ” को बालीवुड के प्रख्यात लेखक-गीतकार जावेद अख्तर ने साबित करके दिखा दिया है. जावेद अख्तर ने 50 साल पहले मध्यप्रदेश के ग्वालियर से मुंबई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर कदम रखा था. आज बालीवुड में जावेद अख्तर का नाम एक सफल लेखक-गीतकार के रूप में लिया जाता है. उन्होंने वाकई में कवि दुष्यंत के कविता को अपने जीवन मे उतारा अन्यथा बालीवुड में कई लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिये आते हैं परन्तु मुकाम कितनों को हासिल होता है. छोटी उम्र में ही माँ का आंचल सर से उठ गया और लखनऊ में कुछ समय अपने नाना नानी के घर बिताने के बाद उन्हें अलीगढ अपने खाला के घर भेज दिया गया जहाँ के स्कूल में उनकी शुरूआती पढाई हुई. वालिद ने दूसरी शादी कर ली और कुछ दिन भोपाल में अपनी सौतेली माँ के घर रहने के बाद भोपाल शहर में उनका जीवन दोस्तों के भरोसे हो गया. यहीं कॉलेज की पढाई पूरी की और जिन्दगी के नए सबक भी सीखे.

आज सिनेमा जगत में गीतकार एवं लेखक के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुके जावेद ने बीते दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर प्लेटफार्म की सफाई के अभियान में शिरकत की.

अपने अनुभव के बारे में बताते हुए जावेद ने कहा, “राष्ट्र की बेहतरी के लिए किसी अभियान में भाग लेना हमेशा ही खुशी की बात है और नरेंद्र मोदी जी का ‘स्वच्छ भारत मिशन’ निश्चित रूप से एक बेहतरीन विचार है. मैंने प्रसन्नतापूर्वक इसका समर्थन किया है.”

स्वच्छ भारत अभियान के साथ अपने ऐतिहासिक अनुभव को जोड़ते हुए जावेद ने कहा, “आज से 50 साल पहले चार अक्टूबर, 1964 को जब मैं मुंबई के लिए अपने गृह जिले ग्वालियर से चला था और मुंबई सेंट्रल पर उतरा था. आज फिर मैं उसी जगह पर खड़ा हूं, जहां 50 साल पहले कदम रखा था.”

जावेद को लगता है कि अब समय आ गया है, जब लोगों को आगे आकर जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, “हम स्वच्छ भारतीय और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के रूप में उभर सकते हैं. हम कहते हैं कि सरकार को यह करने दो. सरकार ही सबकुछ करे, यह उम्मीद क्यों की जाती है. क्या एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारियां नहीं बनतीं.”

जावेद ने कहा, “हमें यह समझने की जरूरत है कि हम ही सरकार हैं. कोई हमारे लिए काम नहीं करेगा. हम बड़े बड़े भव्य मॉल के बाहर गंदगी देखते हैं और सिर्फ बदलाव की बात करते हैं. लेकिन खुद बदलाव के लिए कुछ नहीं करना चाहते.” जावेद अख्तर इस उम्र में भी स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से लोगों को प्रेरणा दे रहें हैं कि हमे अपने परिवेश को साफ-सुथरा रखने में स्वंय ही आगे आना पड़ेगा.

error: Content is protected !!