कलारचना

Alien ‘पीके’ के समर्थन में Youth & Bollywood

नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: जिन लोगों ने फिल्म ‘पीके’ नहीं देखी है वहीं लोग इसका विरोध कर रहें हैं वहीं, ‘पीके’ के दीवाने देश के युवा तथा बालीवुड की हस्तियां इसका समर्थन कर रहीं हैं. इन दिनों फिल्म ‘पीके’ का इस तरह से विरोध हो रहा है मानो ‘पीके’ कोई अध्यादेश है जो धर्म विरोधी है. ‘पीके’ के खिलाफ हो रहें प्रदर्शनों तथा बहसों में शिरकत करने वालों में से जो ‘पीके’ का विरोध कर रहें हैं उनमें से ज्यादातर ने फिल्म ‘पीके’ देखी ही नहीं है. ‘पीके’ के समर्थकों का कहना है कि इस फिल्म में किसी धर्म विशेष नहीं वरन् धार्मिक पाखंड पर कामेडी है. वहीं ‘पीके’ का विरोध करने वालो में हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों शामिल हैं तथा उन्हे कथित रूप से धर्म का मजाक उड़ाना पसंद नहीं है. आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ को युवाओं का भारी समर्थन मिल रहा है. देश के युवाओं ने हिंदू संगठनों से सवाल किया है कि वे फिल्म की निंदा क्यों कर रहे हैं. उनके मुताबिक फिल्म में कहीं भी हिंदू धर्म का अपमान नहीं किया गया है. सफलतम हिंदी फिल्मों में शामिल हो चुकी ‘पीके’ के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों से सिनेमाघर मालिक और बॉलीवुड दोनों ही समान रूप से क्षुब्ध हैं. फिल्म में एक संगठित धर्म और साधु की आलोचनात्मक कहानी दिखाई गई है.

आर्य समाज के नेता स्वामी अग्निवेश ने तो फिल्म को कर मुक्त करने की मांग की है.

इस विरोध-प्रदर्शन के बीच ‘पीके’ बॉलीवुड की सबसे सफलतम फिल्मों में से एक बन गई है. फिल्म ने एक पखवाड़े के भीतर ही 200 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है.

‘पीके’ 19 दिसंबर को रिलीज हुई थी. इसमें आमिर खान ने एक ऐसे एलियन की भूमिका निभाई है, जो भारत के परिदृश्य के प्रति मोहित हो जाता है. इस फिल्म में अनुष्का शर्मा, सुशांत सिंह राजपूत, संजय दत्त और बोमन ईरानी भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

इस फिल्म ‘पीके’ को देखने वाले 33 वर्षीय अयोनव बागची ने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. फिल्म के दृश्य और संवाद भगवान के खिलाफ नहीं हैं. मैं स्वयं एक हिंदू हूं, और मुझे इसमें कुछ भी अपमानजनक नहीं लगा.”

उन्होंने कहा, “मेरी भावनाएं आहत नहीं हुईं. हमने देखा कि भारत में साधु कैसे हैं. उनमें से ज्यादातर भ्रष्ट हैं. फिल्म लोगों से इस प्रकार के लोगों से दूर रहने के लिए कहती है, और मेरे लिए यह उचित है.”

28 वर्षीय मोहम्मद अंजार असलम ने भी जिसने फिल्म ‘पीके’ देखी है इसकी तारीफ की. उन्होंने कहा, “धार्मिक अंधविश्वास में मदहोश भारतीय समाज की मादकता को चित्रित करने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता था? पंडित और मौलवी द्वारा की गई व्याख्याओं में सीमित रहने वाले और वैज्ञानिक सोच खो देने वाले समाज से विरोध प्रदर्शन की उम्मीद थी.”

उधर, बॉलीवुड हस्तियां भी फिल्म के समर्थन में खुलकर आईं हैं. बॉलीवुड को आश्चर्य है जिस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने मंजूरी दे दी हो, उस पर क्रूरतापूर्वक हमला कैसे किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि फिल्म सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म पर पाबंदी लगाने से इंकार कर दिया है.

निर्देशक करण जौहर ने सवाल किया है, “हम किस तरह के प्रजातांत्रिक देश में रह रहे हैं.”

अभिनेत्री पूजा बेदी ने ट्वीट किया, “भगवान भावनात्मक संतान चाहता है, न कि धार्मिक रूप से पागल. हम
‘पीके’ का समर्थन करते हैं.”

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल संयुक्त रूप से ‘पीके’ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए.

फिल्म की आलोचना करने वालों में योग गुरु बाबा रामदेव, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद, मौलाना फिरंगी महली और जमात-ए-इस्लामी हिंद शामिल हैं.

आर्य समाज के नेता स्वामी अग्निवेश ने कहा, “मुझे फिल्म बहुत ही अच्छी लगी. यह किसी भी धर्म के वास्तविक स्वरूप उसके भगवान की अवधारणा, निर्माता पर एक मौलिक बहस को जन्म देती है. इस फिल्म में बहुत गहरे सवाल हैं. यह पूरा विवाद उन लोगों के कारण है जो संकट महसूस कर रहे हैं.” अभी तक फिल्म ‘पीके’ के विरोध से उसके बॉक्स ऑफिस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है.

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