बाज़ार

वैश्विक कारणों से डीजल नियंत्रण मुक्त

नई दिल्ली | एजेंसी: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा डीजल को नियंत्रण मुक्त किया जाना और घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस कीमत की समीक्षा अंतर्राष्ट्रीय कारणों से तय हुई है. जिसने सरकार के कुछ सख्त फैसलों के असर को भी कम किया है. डीजल मूल्य को ऐसे वक्त नियंत्रण मुक्त किया गया है, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटते हुए 80 डॉलर प्रति बैरल की तरफ बढ़ रही है. जबकि गैस मूल्य में संशोधन के लिए अपनाए गए नए फार्मूले के लिए जापानी संदर्भ मूल्य को घटाया गया है और रंगराजन समिति के फार्मूले में अपनाए गए हेनरी हब कीमत की जगह अलबर्टा हब कीमत को जगह दी गई है.

रंगराजन समिति की सिफारिशों के मुताबिक गैस की नई कीमत 8.4 डॉलर प्रति यूनिट हो जाती, जबकि शनिवार को नई कीमत अगले छह महीने के लिए 5.6 डॉलर प्रति यूनिट घोषित की गई, जो नवंबर से लागू होगी.

डीजल को नियंत्रण मुक्त करने का मतलब है कि अब इसकी कीमत प्रति लीटर तीन रुपये से अधिक घट गई है.

स्थानीय कर को शामिल करने के बाद रविवार को प्रभावी डीजल मूल्य दिल्ली में प्रति लीटर 55.60 रुपये, मुंबई में 63.54 रुपये, कोलकाता में 60.30 रुपये और चेन्नई में 59.27 रुपये हो गई है.

सरकार पहले ही डीजल मूल्य नियंत्रण मुक्त करना चाहती थी, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसा नहीं कर रही थी.

उद्योग जगत ने डीजल को नियंत्रण मुक्त किए जाने का स्वागत किया है.

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने एक बयान में कहा, “डीजल जैसे ईंधन उत्पाद बाजार मूल्य पर आधारित होने चाहिए. इससे सभी डीजल उपयोग में किफायत बरतने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जो पर्यावरण अनुकूल विकास में सहायक होगा.”

उद्योग जगत ने हालांकि नए गैस मूल्य पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.

मंत्रिमंडलीय बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, “रंगराजन समिति ने कुछ निश्चित शर्तो का पालन किया था. हमने समस्त शर्तो की समीक्षा की. हमने उन हबों पर भी गौर किया, जिसे पिछली सिफारिश में शामिल किया गया था और उनपर भी गौर किया, जिसे नजरंदाज किया गया था.”

बिजली दर, यूरिया कीमत, सीएनजी दर और पाइप्ड कुकिंग गैस कीमत पर होने वाले संभावित असर को देखते हुए कई पक्ष रंगराजन समिति द्वारा सुझाए गए फार्मूले का विरोध कर रहे थे.

गैस मूल्य होने वाली प्रत्येक डॉलर की वृद्धि से यूरिया उत्पादन की लागत 1,370 रुपये प्रति टन बढ़ेगी, बिजली दर प्रति यूनिट 45 पैसे बढ़ेगी, सीएनजी दर प्रति किलोग्राम कम से कम 2.81 रुपये बढ़ेगी और पाइप्ड कुकिंग गैस प्रति मानक घन मीटर 1.89 रुपये बढ़ेगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!