बस्तर

डिवाइडर नहीं, चीन की दीवार

दंतेवाड़ा | सुरेश महापात्र: जिले में कारली पुलिस लाइन से पातररास तक सड़क चौड़ीकरण और डिवाइडर निर्माण का कार्य प्रगति पर है. बीते 4 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री से इसके लोकार्पण की तैयारी की गई थी. मजेदार बात यह है कि उस समय तक तो दूर, अब तक डिवाइडर और सड़कचौड़ीकरण का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है. खैर यह तो अलग बात है. बड़ी बात तो यह है कि दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में निर्माणाधीन डिवाइडर का काम एक बा​रगी देखने पर चीन की दीवार जितना मजबूत लग रहा है. ऐसी क्या मजबूरी रही कि अपने ही शहर के बीच सड़क इतनी मजबूत डिवाइडर के निर्माण की मजबूरी प्रशासन को आन पड़ी! स्तरहीन, सुस्त और असंवेदनशील निर्माण का प्रतीक बने इस डिवाइडर ने दंतेवाड़ावासियों का जीना हराम कर दिया है.

इतना जरूर है कि डिवाइडर का काम भले ही पूरा ना हो सका हो पर इसके निर्माण के लिए किस एजेंसी के पैसे का उपयोग किया गया है उसका उल्लेख बोर्ड लगाकर ​कर दिया गया है. यानी करोड़ों की लागत वाले इस निर्माण के पीछे एनएमडीसी से मिले सीएसआर के पैसे की भारी पैमाने पर बरबादी का खुला खेल साफ दिख रहा है.

उल्लेखनीय है कि इस निर्माण के लिए जिला प्रशासन ने समूची जिम्मेदारी पीडब्लूडी विभाग को सौंप दी. प्राक्कलन से लेकर डिजाइन बनाने के बाद लोनिवि अफसर ने अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया. अफसरों की चमचागिरी करने के लिए उनके बंगलों के सामने रास्ते खोल दिए गए और जहां लोगों को दिक्कतें पेश आनी थी, वहां दीवार खड़ी कर दी गई.

कुछ जगहों पर भारी विरोध के चलते डिवाइडर के लिए पहले गढ्ढा खोदा गया और उसे सीमेंट कांक्रीट से पाट दिया गया. जिन जगहों पर सुनवाई नहीं हुई उसमें कई ऐसे इलाके हैं जहां सैकड़ों परिवार का निवास है बावजूद इसके उसका ध्यान नहीं रखा गया. बात इतनी ही नहीं है बल्कि इस मामले में बस्तर कमिश्नर और कलेक्टर का भी आंखे मूंदे रहना वाकई लोगों की समझ से परे हो गया है.

बात तब आगे बढ़ी जब डिवाइडर के खेल में केंद्रीय विद्यालय की ओर जाने वाले रास्ते पर भी रोड़ा अटकाने की तैयारी कर दी गई. करीब डेढ़ फीट गहरा पाया खोदकर उसमें लोहे की राड के साथ करीब डेढ़ फीट चौड़ी और ढाई फीट उंची डिवाइडर के माध्यम से दंतेवाड़ा का कैसा सौंदर्य बढ़ाने की तैयारी हो रही है? किसी की समझ में नहीं आ रहा है.

कई ऐसे इलाके हैं जहां लोगों के लिए निर्माण पूरा होने से पहले ही मुसीबत बढ़ गई है. खैर इस निर्माण में मलाई जो भी काटे, मुसीबत का कांटा तो आम जनों को ही चूभना तय है. दंतेवाड़ा से पहले जगदलपुर, बीजापुर और कोंडागांव जैसे शहरों में भी डिवाइडर का निर्माण किया गया है. न तो अफसर उससे सबक लेने को तैयार हैं और ना ही लोगों की सुविधाओं की सुनवाई के लिए कोई रास्ता बचा रहे हैं. खैर जो भी हो, करोड़ों के इस निर्माण में अब दंतेवाड़ा के बुरे दिनों की शुरूआत हो चुकी है. अच्छे दिन का इंतजार कर रहे लोगों के लिए यही सरकार की नजीर है.

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