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स्मृति ईरानी का क्या होगा?

नई दिल्ली | संवाददाता: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी संकट में हैं. अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्मृति ईरानी के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली है और याचिका में जो आरोप लगाये गये हैं, उसके साबित हो जाने पर स्मृति ईरानी का राजनीतिक करियर चौपट हो सकता है. अदालत ने पूरे मामले की अगली सुनवाई के लिये 28 अगस्त की तारीख मुकर्र की है.

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ अहमर खान नाम के एक शख्स ने शिकायत की थी, उन्होंने आरोप लगाया था, कि स्मृति ने लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय चुनाव आयोग के समक्ष तीन हलफनामे पेश किये थे, जिनमें उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में अलग-अलग ब्योरा दिया. कोर्ट ने अहमर की अर्जी स्वीकार करते हुए ये माना है कि ये मामला सुनवाई करने के लायक है. कोर्ट ने याचिकाकर्तो को निर्देश दिय़ा है कि वो साबित करे कि स्मृति की डिग्री फर्जी है.

अहमर खान ने अदालत में अपनी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 16 अप्रैल 2014 को उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन के संबंध में अपने हलफनामे में स्मृति ईरानी ने कहा था कि उन्होंने डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बैचलर ऑफ कॉमर्स पार्ट 1 पूरा किया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि स्मृति ईरानी द्वारा पेश हलफनामे की विषय वस्तु से स्पष्ट है कि उनकी ओर से शैक्षणिक योग्यता के बारे में केवल एक शपथ ही सही है.

शिकायत में दावा किया गया है, स्मृति ईरानी के उक्त हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत और आलग-अलग बयान दिया, ऐसा प्रतीत होता है कि अपने स्वामित्व की अचल सम्पत्ति एवं अन्य ब्यौरे के बारे में गलत या भिन्न बयान दिया.

अदालत ने माना कि स्मृति ईरानी के खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं, उनके तथ्यों में दम है. इसके बाद अदालत ने पूरे मामले को स्वीकार कर लिया. स्मृति ईरानी इस मामले पर फिलहाल टिप्पणी करने के लिये उपस्थित नहीं हैं. लेकिन माना जा रहा है कि दोनों ही शपथपत्र स्मृति के खुद के हैं. ऐसे में स्मृति के लिये यह चुनौती होगी कि उनमें से किसी एक को ग़लत ठहराये.

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