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पंजाब विश्वविद्यालय का योगदान

चंडीगढ़ | एजेंसी: पंजाब विश्वविद्यालय ने देश को वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नोबेल पुरस्कार विजेता हरगोबिंद खुराना जैसी हस्तियां दी है. परन्तु पंजाब विश्वविद्यालय के बारे में कम ही लोगों को पता है कि विश्वविद्यालय ने विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान किया है. लेकिन विश्वविद्यालय को अब लोकप्रियता मिलने लगी है.

पिछले दिनों पंजाब विश्वविद्यालय तब चर्चा में आया जब दुनियाभर के 250 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में यह सर्वश्रेष्ठ भारतीय विश्वविद्यालय के रूप में चुना गया.

विश्वविद्यालय के कुलपति अरुण ग्रोवर ने बताया, “पंजाब विश्वविद्यालय ने भारतीय विज्ञान और विश्व के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया है. लेकिन यह बात कम ही लोगों को मालूम है. हमलोग अब प्रयास कर रहे हैं कि लोगों को पता चले कि विज्ञान की कई अग्रणी हस्तियां इसी विश्वविद्यालय की देन हैं.”

पंजाब विश्वविद्यालय इस ओर कदम उठाते हुए 24 से 26 अक्टूबर को विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस एवं प्रख्यात विद्वान प्रो. रुचिराम साहनी की 150वी जयंती के अवसर पर एक सेमिनार आयोजित कर रहा है. ज्ञात हो कि यह पंजाब में उच्च शिक्षा की शुरुआत की भी 150वीं वर्षगांठ होगी.

ग्रोवर ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय से 19वीं और 20वीं सदी में पढ़कर निकले वैज्ञानिकों ने विज्ञान, परमाणु भौतिकी एवं गणित में अग्रणी योगदान किया है.

शोध प्रयोगशाला के जनक के रूप में प्रख्यात शांति स्वरूप भटनागर जैसे प्रसिद्ध विद्वान 20वीं सदी के शुरू में इस विश्वविद्यालय से जुड़े रहे थे. उनके नाम पर आज एक प्रसिद्ध विज्ञान पुरस्कार दिया जाता है.

पंजाब युनिवर्सिटी का पुराना और मूल नाम युनिवर्सिटी ऑफ पंजाब था. इसकी स्थापना 14 अक्टूबर 1882 को लाहौर में हुई थी. विश्वविद्यालय एक अक्टूबर 1947 को आजाद हिंदुस्तान में नए सिरे से स्थापित किया गया और इसे 1956 में चंडीगढ़ में 550 एकड़ में फैले इस वर्तमान खूबसूरत परिसर में स्थानांतरित किया गया.

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