छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के 62 कोल ब्लाक अवैध

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ में 1993 से 2010 के बीच आवंटित 62 कोल ब्लॉक अवैध हैं. कोयला और लोहे की खदानों के लिए बनी संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने इस मामले में अनुशंसा की है कि जिन खदानों में उत्पादन शुरु नहीं हुआ है, उनका आवंटन तत्काल रद्द होना चाहिये.

गौरतलब है कि कोयला एवं इस्पात पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष कल्याण बनर्जी ने कोयला ब्लॉक आवंटन प्रक्रिया को देश से धोखा बताया है. समिति ने मंगलवार को संसद में रिपोर्ट रखी. इसमें 1993 से 2010 में किए कोयला खदानों के आवंटन को “अनधिकृत व अवैध” बताते हुये आवंटन रद्द करने और दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है. रिपोर्ट मे कहा गया है कि आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती और इससे सरकार को कोई राजस्व नहीं मिला. जांच में पाया कि 1993 से 2010 के बीच कोयला ब्लॉकों का आवंटन बिना विज्ञापन अथवा सार्वजनिक सूचना के हुआ. आवंटन में गैरकानूनी प्रक्रिया अपनाई गई. समिति ने पूछा है कि आवंटन में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को प्राथमिकता क्यों नहीं दी गई? निजी कम्पनियों को आवंटन के लिए नई नीति बनाने का भी सुझाव दिया है.

कोल ब्लॉक आवंटन के लिए बनी संसदीय समिति ने साफ कर दिया है कि वर्ष 1993 के बाद हुए आवंटन में भारी गड़बडियां की गईं. अविभाजित मप्र में 1993 से 2008 के बीच 62 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए हैं. इनमें से 30 कोल ब्लॉक निजी कम्पनियों को बांटे गए. शेष का आवंटन सरकारी कम्पनियों और उपक्रमों को किया गया है. सरकारी कम्पनियों में राज्य की सीएमडीसी और सीएसईबी तथा अन्य राज्यों की बिजली उत्पादन कम्पनियां शामिल हैं.

1993 से छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण तक केवल छह कोयला खदानों का आवंटन किया गया था. राज्य की पहली अजीत जोगी की सरकार ने नवम्बर 2003 तक तीन खदानों का आवंटन किया था. 2004 में भाजपा सरकार ने दो कोल ब्लॉक सीएसईबी को आवंटित कराए. 2006 में राज्य सरकार ने 27 कोयला खदानें बांटीं, जिनमें से 22 खदाने निजी कंपनियों को दी गई थीं. 2007 में सरकार ने विभिन्न कम्पनियों को 4 और 2008 में 11 खदानें विभिन्न कम्पनियों के हवाले की गईं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!