छत्तीसगढ़

‘सिप्रोसीन’ से छत्तीसगढ़ की विश्वसनीयता घटी

रायपुर | संवाददाता: सिप्रोसीन कांड से छत्तीसगढ़ की विश्वसनीयता पर आंच आई है. जाहिर है कि जिस राज्य में जीवन रक्षक एंटीबायोटिक सिप्रोफ्लाक्सिन में जहर मिले हुए होने की पुष्ठि हो गई है उस राज्य में बाहर का व्यक्ति आकर कभी बीमार होना नहीं चाहेगा. बीबीसी से बातचीत में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा, “रिपोर्ट में जो तथ्य आए हैं, उसके अनुसार दवा में ज़हर भी पाया गया है और वह अमानक स्तर का भी है. जांच रिपोर्ट हमने पुलिस को सौंप दी है.”

गौरतलब रहे कि छत्तीसगड़ के राजधानी रायपुर के महावर फार्मा द्वारा निर्मित इस सिप्रोसीन 500 मिलीग्राम की गोली के सेवन से 18 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए इस जहरीली दवा पर पहले ही दिन से प्रतिबंध लगा दिया है तथा बाजार तथा सरकारी अस्पतालों से इसके स्टॉक को जब्त कर लिया है. इस दौरान सिप्रोसीन से हुई मौतों से राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की छवि पर विपरीत असर पड़ा है.

उल्लेखनीय है कि अपने पहले कार्यकाल से ही रमन सरकार ने छत्तीसगढ़ को एक विश्वसनीय प्रदेश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. यहां तक कि जनगणना 2011 के आकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में लड़का-लड़की का अनुपात राष्ट्रीय स्तर से भी ज्यादा है. जनगणना के आकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ का सेक्स रेशियो 1000:991 है जिसका अर्थ होता है कि प्रति 1000 लड़कों पर 991 लड़कियों का अनुपात है. ज्ञात रहे कि यह आकड़ा जनगणना 2001 की तुलना में बढ़ा है. उल्लेखनीय है कि देश का सेक्स रेशियो छत्तीसगढ़ से कम 940 का है.

उल्लेखनीय है कि सेक्स रेशियो एक मानक है जिसके आधार पर किसी देश-राज्य के स्वास्थ्य के स्थिति की जांच की जाती है. इस लिहाज से छत्तीसगढ़ एक उन्नत राज्यों की श्रेणी में आता है. 2011 के जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ सेक्स रेशियो के मामले में देश में पांचवें नंबर पर आता है. छत्तीसगढ़ से उपर केरल, पांडेचरी, तमिलनाडु तथा आंध्रप्रदेश का नाम आता है. लेकिन इन तमाम श्रेष्ठता पर सिप्रोसीन ने पूर्ण ग्रहण लगा दिया है जिससे निकलने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.

चिकित्सा पर्यटन पर असर
सिप्रोसीन कांड का छत्तीसगढ़ के चिकित्सा पर्यटन पर भी विपरीत असर पड़ने जा रहा है. चिकित्सा पर्यटन एक नये तरह का पर्यटन है जिसमें विदेशों से लोग भारत में चिकित्सा करवाने के लिये आते हैं. कारण यह है कि भारत में विदेशों से तीन से दस गुना कम खर्च में हृदय की शल्य क्रिया, घुटनों की सर्जरी, हिप रिप्लेसमेंट, दांतो का सर्जरी, किडनी के आपरेशन, कास्मेटिक सर्जरी हो जाते हैं. भारत के चिकित्सा के स्तर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हुई है तथा यहां के अस्पतालों में अंग्रेजी भाषा को समझने वाले डॉक्टर, नर्स तथा फार्मासिस्ट उपलब्ध हैं.

एक आकलन के अनुसार भारत में चिकित्सा पर्यटन का बाजार वर्ष 2018 तक करीब 36हजार करोड़ रुपयों का हो जायेगा. इसके लिये जरूरत पड़ती है अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चिकित्सा संस्थानों की. आज की तारीख में छत्तीसगढ़ में अपोलो हास्पिटल्स, रामकृष्ण केयर, एमएमआई नारायणा, बीएसआर अपोलो जैसे चिकित्सा संस्थान हैं जिस इस कसौटी पर खरे उतरते हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जल्द ही एम्स पूर्ण रूप से चालू होने वाला है. इस चिकित्सा पर्यटन का भुगतान विदेशी करेंसी में किया जाता है जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है.

बात केवल विदेशी मरीजों की ही नहीं है वरन् आज भी छत्तीसगढ़ में रहने वालों के नाते-रिश्तेदार छत्तीसगढ़ में चिकित्सा करवाने के लिये आते हैं. ऐसे में जहरीली सिप्रोसीन से छत्तीसगढ़ की विश्सनीयता पर विपरीत प्रभाव पड़ना लाजिमी है.

अब हम किस मुंह से छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया कह पायेंगे.

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