छत्तीसगढ़

छग में ऑनलाइन शापिंग रोक पायेंगे?

रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के व्यापारी ऑनलाइन शापिंग का विरोध कर रहें हैं. इसके लिये छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स के बैनर तले ऑनलाइन शापिंग पर बैन लगाने के लिये मुख्यमंत्री से उनका प्रतिनिधी मंडल मिलेगा. खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री से छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन शापिंग को बैन करने की मांग की जा सकती है. इस ऑनलाइन शापिंग के चलते जूते, चप्पल, मोबाईल फोन, कपड़े, इलेक्ट्रानिक्स के सामान, लैपटाप तक बेचे जाने से देश के अन्य खुदरा व्यापारियों की तरह छत्तीसगढ़ के व्यापारियों के सामानों की बिक्री घटी है. जाहिर है कि जब खुदरा व्यापारियों की बिक्री घटती है तो थोक व्यापार भी कम होने लगता है. यह अलग बात है कि उत्पादक कंपनियों को इससे घाटा नहीं होता है क्योंकि वे सीधे तौर पर इन ऑनलाइन या ई-कामर्स से जुड़े कंपनियों को माल बेच देती है.

यहां पर, विशेष तौर पर छत्तीसगढ़ के संदर्भ में तीन बातों पर गौर किया जाना चाहिये. पहला, इस बार बकरीद पर छत्तीसगढ़ में बकरे ऑनलाइन भी बिके थे. छत्तीसगढ़ के एक बकरा मालिक ने बताया था कि उन्हें बकरों का यह ऑनलाइन कारोबार रास आ रहा है. इसकी वजह यह है कि खरीदार को बकरा मंडी तक आने की जरूरत नहीं, वह वेबसाइट पर तस्वीर देखता है और सीधे फोन लगाता है. सौदा पक्का हुआ तो आओ और बकरा ले जाओ. मालिकों को बकरों की अच्छी कीमत भी मिल रही है.

राजधानी रायपुर निवासी बकरा मालिक एस. यूनिस ने बताया था कि उनके बकरे की कीमत 65 हजार रुपये है. जब से उन्होंने ओएलएक्स पर उसका फोटो डाला है, कई लोगों के फोन आए. टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने और रेट अच्छा मिल जाए, इसलिए उन्होंने बकरे की तस्वीर इंटरनेट पर पोस्ट किया. मौदहापारा निवासी टीपू सुलतान का कहना था कि वे ऑनलाइन ही 10 बकरे बेच चुके हैं. जो बकरा बचा है उसकी पीठ पर चांद है, इसलिए उसकी कीमत उन्होंने 51 हजार रुपये रखी है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन बेचने का उन्हें फायद हुआ है.

दूसरा, स्वंय छत्तीसगढ़ सरकार अपने हैंडलूम उत्पादों की बिक्री ऑनलाइन करने जा रही है. छत्तीसगढ़ के हैंडलूम वस्त्रों की बिक्री अब ऑनलाइन शुरू हो जाएगी. शासन ने इसके लिए ऑनलाइन शॉपिंग फ्लिपकार्ट मेगास्टोर कंपनी के साथ अनुबंध किया है. फ्लिपकार्ट डॉट कॉम ऑनलाइन मेगा स्टोर में एक जाना पहचाना नाम है. यह देश की सबसे चर्चित 10 वेबसाइटों में शामिल है.

बताया जाता है कि प्रदेश के टेक्सटाइल्स उद्योग को विश्व में मशहूर करने के लिए सरकार की इस मुहिम से हैंडलूम वस्त्रों के साथ ही साथ अन्य उत्पादों का व्यवसाय बढ़ने की उम्मीद है. इसके तहत फ्लिपकार्ट डॉट कॉम में प्रदेश के बुनकरों द्वारा निर्मित उत्पादों की जानकारी फोटोग्राफ और कीमतों सहित उपलब्ध कराई जाएगी. प्रदेश के ग्रामोद्योग मंत्री पुन्नूलाल मोहिले ने कहा कि प्रदेश के हैंडलूम उत्पादों का प्रचार करने के लिए फ्लिपकार्ट डॉट कॉम से करार किया गया है. सरकार बुनकरों से निर्मित उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग करना चाहती है.

तीसरा, जब इस बार ऑनलाइन शापिंग कंपनी फ्लिपकार्ट ने 6 अक्टूबर के दिन डिसकाउंट पर माल देने की बात की तो उसके वेबसाइट पर 1 अरब हिट मिले तथा उसने एक ही दिन में 10 करोड़ डॉलर का सामान बेचा. बेंगलुरू की कंपनी ने यहां एक बयान जारी कर कहा, “हमारी वेबसाइट को आज एक अरब हिट मिले और हमने 24 घंटे में 10 करोड़ डॉलर अर्थात् 615 करोड़ रुपये बिक्री का लक्ष्य सिर्फ 10 घंटे में हासिल कर लिया.” छूट का ऑफर शुरू होने के कुछ ही घंटे के भीतर बड़ी संख्या में लोगों द्वारा वेबसाइट खोलने के कारण वेबसाइट क्रैश दोपहर के वक्त क्रैश हो गई थी.

इन तीनों उदाहरणों से पता चलता है कि लोग बकरे तक ऑनलाइन खरीदने के लिये तैयार है. दूसरा, व्यापारी जिस फ्लिपकार्ट का विरोध कर रहें हैं छत्तीसगढ़ सरकार स्वंय ऑनलाइन व्यापार करने में उस पर भरोसा करती है. तीसरा, देश की जनता जिसमें छत्तीसगढ़ की जनता भी शामिल है, ऑनलाइन शापिंग करने में विश्वास रखती है. इसे दूसरी तरह से भी समझा जा सकता है कि जमाना ऑनलाइन शापिंग का है. इसमें अरबों रुपयों के व्यापार करने वाली कंपनियां शामिल है उनसे भला छत्तीसगढ़ के लखपति या कुछ हद तक करोड़पति व्यापारी कहां तक निपट पायेंगे.

ऑनलाइन शापिंग से वहीं खरीददारी करते हैं जिनके पास कंप्यूटर तथा इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है. इसमें भुगतान क्रेडिट या डेबिट कार्डो से तथा डिलीवरी होने पर कैश भी किया जा सकता है. पहले जहां इसमें उच्च मध्यम वर्ग तथा उच्च वर्ग के लोग खरीददारी करते थे अब इसमें भारत का विशाल मध्यम वर्ग भी शामिल हो गया है तभी तो 6 अक्टूबर के दिन बेंगलुरु की ऑनलाइन शापिंग केपनी के वेबसाइट पर 1 अरब हिट आये थे तथा उन्होंने करीब 10 करोड़ डॉलर का व्यापार कर लिया.

इन तमाम तथ्यों के आधार पर शक है कि छत्तीसगढ़ के व्यापारी ऑनलाइन शापिंग को बैन करवा पायेंगे? इस बार उनका सामना नये जमाने के नये नीतियों से है.

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