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छत्तीसगढ़ का ‘टमाटर आंदोलन’

दुर्ग | संवाददाता: नोटबंदी से छाये मंदी ने ‘टमाटर आंदोलन’ को जन्म दिया है. छत्तीसगढ़ में सोमवार को दुर्ग की मंडियों में टमाटर के भाव न मिलने के कारण किसानों ने 40 ट्रेलर टमाटर सड़कों पर उड़ेल दिया. जिससे रास्ता जाम हो गया. इससे पहले छत्तीसगढ़ के ही पत्थलगांव में किसानों ने इसी तरह से सड़कों पर सैकड़ों टन टमाटर उड़ेलकर अपने गुस्से का इजहार किया था.

जिस नोटबंदी से काली नगदी के बर्बाद हो जाने के दावे किये जा रहें थे उस नोटबंदी ने छत्तीसगढ़ में टमाटर उत्पादकों को तबाही के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है. थोक बाजार में एक किलो टमाटर का दाम 50 पैसे है. इतने पैसे तो किसानों को टमाटर तोड़ने में ही लग जाते हैं.

इस बार टमाटर की फसल अच्छी होने के बाद किसान तथा उत्पादक उम्मीद लगाये बैठे थे कि उन्हें इससे अच्छा फायदा होने जा रहा है. परन्तु नोटबंदी के कारण छाई मंदी ने उनके उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

पत्थलगांव में किसानों ने सड़कों पर टमाटर फैलाया

एक तरफ नोटबंदी के कारण नगदी की कमी होने के कारण सब्जी बाजार मंदा चल रहा है जिससे टमाटर के सही भाव नहीं मिल पा रहें हैं. दूसरी तरफ, नगदी की समस्या के कारण सामानों को परिवहन ठप्प पड़ा है.

इस कारण से टमाटर का भाव न सही तौर पर स्थानीय बाजारों में मिल पा रहा है और न ही बाहर के खरीददार इसे लेने आ रहें हैं. टमाटर की फसल तैयार हो जाने के बाद इसे रखा नहीं जा सकता अन्यथा खेतों में ही ये गल जाते हैं.

सोमवार को दुर्ग की मंडियों में भाव न मिलने के कारण गुस्सायें धमधा के किसानों ने 40 ट्रेलर टमाटर सड़कों पर उड़ेल दिया. हालांकि, छत्तीसगढ़ के लुड़ेग में टमाटरों को उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है तथा कई बार वे बिक नहीं पाते हैं. लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब राज्य के अन्य स्तानों को टमाटर उत्पादक किसानों को मंदी का सामना करना पड़ा रहा है.

यह कहना गलत न होगा कि नोटबंदी ने छत्तीसगढ़ में ‘टमाटर आंदोलन’ शुरु करने के लिये किसानों को मजबूर किया है.

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