छत्तीसगढ़

देवउठनी एकादशी: गन्नों से पटा बाजार

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में दीवाली की पांच दिनों की धूम के बाद सोमवार को देवउठनी एकादशी यानी छोटी दीवाली मनाई जाएगी. जिसके लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी के बाजारों में गन्नों की दुकानें सज गई हैं.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के हर चौक-चौराहों पर गन्ने लेकर दूर-दराज से लोग आए हुए हैं. गन्ने की जोड़ी 30 रुपये से लेकर 80 रुपये तक में बेची जा रही है. इसके साथ देवउठनी एकादशी के दिन बाजार में चना भाजी, बोईर, शंकर कांदा, कोचई, आंवला, सिंघाड़ा की मांग भी पर्व में होती है.

गौरतलब की दीवाली की भांति ही देवउठनी एकादशी छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, दुर्ग, अंबिकापुर में काफी धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन घरों-घर गन्ने की पूजा के साथ तुलसी-विष्णु की विवाह के लिए मंडप सजाया जाता है. छत्तीसगढ़ में इस त्यौहार का अलग ही महत्व है. अंचल में इस दिन लाल कांदा, चना भाजी, भाटा और आंवला की पूजा भी की जाती है.

पुराणों में पर्व को लेकर कथा है कि इस दिन मां तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु जी के साथ हुआ था. इसी दिन भगवान विष्णु जी भी चार माह के शयन के बाद उठते हैं इसलिए इसे देवउठनी के नाम से भी जाना जाता है. उक्त पूजा में होने वाले विवाह के लिए मंडप के रूप में गन्नों का उपयोग किया जाता है. गन्ना व्यवसायियों के अनुसार इस वर्ष गन्ने का अपेक्षाकृत उत्पादन नहीं हो पाया है. इसके अलावा बाजार में चना भाजी, बोईर, शंकर कांदा, कोचई, आंवला, सिंघाड़ा की मांग भी पर्व में होती है.

राजधानी के पं. मनोज शुक्ला के अनुसार चातुर्मास के बाद विवाह के शुभ मुहूर्त की शुरूआत तुलसी पूजा के साथ ही होती है. तुलसी पूजा को अबूझ मुहूर्त कहा गया है. और बिना मुहूर्त देखे विवाह संपन्न कराया जा सकता है. हिन्दू धर्म में कन्यादान को महादान की संज्ञा दी गई है, इसलिए तुलसी को बेटी मानकर घर-घर में विवाह संपन्न कराया जाएगा.

देवउठनी पर्व के बाद वैवाहिक कार्यक्रमों के अलावा गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ जैसे अनेक शुभ कार्यो का शुभ मुहूर्त प्रारंभ होता है. किंतु इस बार 22 नवंबर तक ग्रह अस्त होने के कारण वैवाहिक कार्यक्रमों तथा अन्य शुभ कार्यो की शुरुआत 26 नवंबर से प्रारंभ होगी. पंडित पंकज तिवारी ने बताया कि वैवाहिक कार्यक्रम के लिए शुभ मुहूर्त 26 नवंबर के बाद से 14 नवंबर तक रहेगा.

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