बिलासपुर

छत्तीसगढ़: बसों में स्पीड गवर्नर

बिलासपुर | संवाददाता: परिवहन विभाग तेज गति से बस चालन पर लगाम लगाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिये बसों में स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य किया जाने वाला है. अब से जो बस फिटनेस के लिये आयेगी उसे तभी प्रमाण-पत्र दिया जायेगा जब उसमें स्पीड गवर्नर नाम का उपकरण लगा हो.

उल्लेखनीय है कि स्पीड गवर्नर के द्वारा बसों, ट्रकों तथा अन्य गाड़ियों के स्पीड पर नियंत्रण किया जा सकता है. यह उपकरण महज तीन हजार से लेकर आठ हजार रुपयों में आ जाता है. आजकल यह स्पीड गवर्नर ऑनलाइन भी बिक रहा है. इसे लगाने से ड्राइवर तेज गति में गाड़ी नहीं चला सकता है जिससे सड़क दुर्घटनाओँ में कमी लाई जा सकती है.

इस संबंध में परिवहन विभाग ने सभी बस मालिकों को निर्देश जारी कर दिया है. जुलाई माह तक इसे बसों में लगाना है. उसके बाद से बगैर स्पीड गवर्नर वाले बसों को फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जायेगा.

गौरतलब है कि परिवहन विभाग के नियमो के अनुसार नई बसों की 2 साल बाद फिटनेस जांच की जाती है. इसके बाद प्रत्येक साल फिटनेस जांच कराना अनिवार्य है. बिना फिटनेस के बसें नहीं चलाई जा सकतीं हैं. विभाग ऐसी बसों का परमिट रद्द या जुर्माने की कार्रवाई कर सकता है.

इसके तहत साधारण बसें 35 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जा सकती है. इसी तरह साधारण एक्सप्रेस बसें 40 किमी, डीलक्स 45 किमी, डीलक्स एक्सप्रेस 50 किमी और रात्रिकालीन चलने वाली बसें 55 किमी प्रति घंटे की ही रफ्तार से चला करेंगी.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रपट ‘भारत में सड़क दुर्घटना-2013′ के मुताबिक, भारत में रोजाना औसतन 377 लोगों की मौत सड़क हादसे में होती है. यह दुनिया में सर्वाधिक है. अधिकतर हादसे असुरक्षित रूप से या लापरवाही से वाहन चलाने के कारण होते हैं.

ऐसा आम तौर पर बुनियादी सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने के कारण होता है. आंकड़ों के मुताबिक, देश में 41 फीसदी या 56,529 मौतें सीमा से अधिक तेज गति से वाहन चलाने से होती है. इसके अलावा 78 फीसदी दुर्घटनाओं में गलती चालक की होती है.

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