छत्तीसगढ़

विशेष जनसुरक्षा अधिनियम है त्रुटिपूर्ण: शेषाद्री चारी

रायपुर | विशेष संवाददाता: भाजपा नेता एवं वरिष्ठ स्तंभकार शेषाद्री चारी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में बने विशेष जनसुरक्षा अधिनियम में कुछ त्रुटियां हैं एवं उनको सुधारने की आवश्यकता है.

फोरम फॉर इंटिग्रेटड नेशनल सिक्योरिटी (फिन्स) छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में हिस्सा लेने राजधानी रायपुर पहुँचे चारी ने कहा नक्सलवाद को सिर्फ विकास से जुड़ी समस्या नहीं है बल्कि इसका फलक काफी बड़ा हो चुका है.

उन्होंने कहा “माओवाद आदिवासी इलाकों में विकास न पहुंचने से जरुर पनपा विकसित हुआ है किंतु ऐसा नहीं है कि अगर सरकार केवल विकास कर दे तो इसका समाधान मिल जाएगा और यह समस्या खत्म हो जाएगी. नक्सली पशुपति से लेकर तिरुपति तक एक कोरिडोर बनाना चाहते हैं. यह एक विचारधारात्मक समस्या भी है. इसका समाधान कुछ हद तक सरकार, प्रशासन, सिविल सोसायटी सहित सबके साथ खड़े होने से मिल सकता है और फिन्स यही प्रयास कर रहा है.”

विशेष सुरक्षा अधिनियम के बारे में उन्होंने अपनी राय देते हुए कहा कि पत्रकारों को यह डर होता है कि अगर वो नक्सली से बात करता है या कोई लेख लिखता है तो उस पर सरकार की या पुलिसिया कार्यवाही हो सकती है, वहीं नक्सली से न बात करें तो वो पत्रकार को थप्पड़ मारकर जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस विषय पर एक समग्र सोच विकसित करने की जरुरत है.

यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर को भारत से अलग कर स्वतंत्र राज्य के रुप में बना देने की इजाजत दे देनी चाहिए, तो चारी ने कहा कि कश्मीर की समस्या सिर्फ आंतरिक नहीं बल्कि बाह्य देशों के लोभ का कारण भी है.

उन्होंने कहा कि पीओके पर चीन कब्जा जमाना चाहता है एवं उस इलाके के माध्यम से इण्डियन ओशन रिजन (आईओआर) तक पहुंचकर पांव जमाना चाहता है. उन्होंने यह भी बताया कि घाटी में हो रही हिंसा को बढ़ावा देने में चीन की प्रमुख भूमिका है.

छोटे राज्यों के गठन पर चारी ने कहा कि राजनीतिक मांग के कारण छोटे राज्यों के गठन से ही विकास प्रभावित होता है क्योंकि वहां सिर्फ स्थानीय नेता और मौजूद राजनीतिक दल अपनी सत्ता स्थापित करना चाहते हैं.

इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार की भी आलोचना करते हुए कहा कि आज़ादी के 66 सालों के बाद भी देश में एक सटीक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की कमी और फिन्स इसी के लिए प्रयासरत है. उन्होंने यह भी बताया कि फिन्स ने इसके लिए केंद्र सरकार को 2010 में एक ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन इस मामले में सरकार द्वारा अभी तक कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया गया है.

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