छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में ‘पानी बचाओ अभियान’

रायपुर | संवाददाता: सरकारी दावों के अनुसार राज्य में भू-जल की गिरावट को रोकने के लिये बेहतरीन कार्य किये जा रहें हैं. कहा जाता है कि ‘जब जागो तभी सबेरा’ इसके अनुसार भू-जल के स्तर को गिरने से रोकने के लिये भले ही प्रयास देर से शुरु किया गया है परन्तु शुरु तो किया गया है. सभी सरकारी भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली को अनिवार्य कर दिया गया है. तालाब निर्माण, गहरीकरण और नहरों की मरम्मत के कार्य भी युद्ध स्तर पर चल रहे हैं. इस बार गर्मियों में लोक सुराज अभियान के साथ-साथ जल सुराज अभियान चलाने के भी निर्देश दिए थे. सभी जिलों में वहां के कलेक्टरों के नेतृत्व में संबंधित विभागों द्वारा जनसहयोग से इस दिशा में तेजी से कार्य किए जा रहे हैं.

जशपुर
उत्तरी छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में जिला प्रशासन द्वारा जल सुराज की अवधारणा को साकार करने के लिए ‘जशपुर से जलपुर तक’ अभियान शुरू किया गया है. इसके अंतर्गत जहां पिछले दो माह से श्रमदान से तालाबों की सफाई और गहरीकरण का कार्य हो रहा है, वहीं सरकारी इमारतों में बारिश के पानी को छतों से जमीन के नीचे पहुंचाने के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली भी अपनायी जा रही है.

कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि जिले भर की 968 सरकारी इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण पूरा कर लिया गया है और 446 भवनों में यह कार्य प्रगति पर है. हैण्डपम्पों के आसपास सोक पिट बनाये जा रहे हैं. जिले के मनोरा विकासखंड के सभी 243 सरकारी स्कूलों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की संरचना और सोक पिटों का निर्माण किया जा चुका है. विकासखंड फरसा बहार के 58 ग्राम पंचायत भवनों के साथ-साथ आदिम जाति विकास विभाग द्वारा संचालित 200 छात्रावासों में से 159 में रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचना तैयार की जा चुकी है. सम्पूर्ण जशपुर जिले में 15 हजार हैण्डपम्पों के आस-पास सोख्ता गड्ढे बनाने का लक्ष्य है. अब तक 3253 हैण्डपम्पों के नजदीक इनका निर्माण किया जा चुका है.

पत्थलगांव
जिले के पत्थलगांव विकासखंड की दो ग्राम पंचायतों रेड़े और बहना टांगर के ग्रामीणों ने वहां के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तालाबों की सफाई के लिए सामूहिक श्रमदान किया. जल संवर्धन के लिए जिले भर में छोटे-बड़े 879 तालाबों की सफाई और उनका गहरीकरण भी किया गया है. इसके अलावा मनरेगा के तहत पूरे जिले में 4986 कार्य मंजूर किए गए हैं. इनमें नहरों की मरम्मत के 28 कार्यों सहित 576 कुओं, 2229 डबरियों, 245 तालाबों के निर्माण, 109 तालाबों के गहरीकरण और 1797 भूमि सुधार के कार्य शामिल हैं. अब तक ढाई हजार से ज्यादा कार्य पूर्ण हो चुके हैं.

बलरामपुर-रामानुजगंज
इसी कड़ी में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में विगत सिर्फ डेढ़ माह में 400 सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचना तैयार की जा चुकी है. इनमें विकासखंड बलरामपुर के 72, कुसमी के 59, विकासखंड राजपुर के 57, रामचंद्रपुर के 82, शंकरगढ़ के 49 और वाड्रफनगर के 82 शासकीय भवन शामिल है. जबकि 100 इमारतों में यह कार्य तेजी से किया जा रहा है. जिले के लगभग 100 अन्य भवनों में भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण तेजी से चल रहा है.

जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को भू-जल संरक्षण और रेनवाटर हार्वेस्टिंग का महत्व समझाने के लिए ग्राम पंचायतों के स्तर पर ग्रामसभाओं और महिला स्वसहायता समूहों की बैठकें भी आयोजित की गई. इसके उत्साहजनक नतीजे मिलने लगे. जिले के ग्रामीण अब ‘गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में रोकने के लिए मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत बड़ी संख्या में डबरी निर्माण आदि के कार्यों में लगे हुए हैं.

मुंगेली
मुंगेली कलेक्टर किरण कौशल के अनुसार जिले में हैण्डपम्पों के नजदीक लगभग छह हजार हैण्डपम्पों के आसपास सोख्ता गड्ढे बनाये जा चुके हैं. धमतरी जिले में चालू वर्ष 2016-17 में छह हजार हैंडपम्पों के नजदीक सोकपिट और 650 नग रिचार्ज पिट बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. कलेक्टर भीमसिंह ने बताया कि इसके अंतर्गत अब तक तीन हजार सोख्ता गड्ढे और 300 रिचार्ज पिट बनाए जा चुके हैं. इससे हैण्डपम्पों के जल स्तर में काफी सुधार हुआ है.

जांजगीर-चाम्पा
पानी बचाने और पानी बढ़ाने के जन आंदोलन को जांजगीर-चाम्पा जिले में भी अच्छी सफलता मिल रही है. इस जिले के पामगढ़ विकासखंड में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदियों के पवित्र संगम पर छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ शिवरीनारायण स्थित है. इसके नजदीक ग्राम देवरघटा में तालाब नहीं होने के कारण लोगों को निस्तारी के लिए काफी दिक्कत हो रही थी. जमीन पथरीली होने के कारण तालाब नहीं बन पा रहा था. समस्या को देखते हुए गांव के लोगों ने तालाब बनाने का संकल्प लिया. ग्रामीणों ने मनरेगा के तहत कठिन परिश्रम कर वहां के एक तालाब का निर्माण कर लिया. इससे न केवल उन्हें रोजगार मिला, बल्कि निस्तारी की समस्या हल हो गई, और मछली पालन को भी बढ़ावा मिला.

सुकमा
राज्य के सुदूर दक्षिण में स्थित अंतिम छोर के सुकमा जिले में लगभग डेढ़ महीने पहले विगत 21 अप्रैल को ग्राम उदय से भारत उदय अभियान के तहत ग्रामीणों ने जिला पंचायत सदस्य धनीराम बारसे और जिला कलेक्टर नीरज कुमार बंसोड़ के नेतृत्व में तालाब के सौंदर्यीकरण और गहरीकरण के लिए सामूहिक श्रमदान किया. सुकमा जिले के ही ग्राम गिरदापाल में मलेजंर नदी पर दो करोड़ 20 लाख रूपए की लागत से एक एनीकट का निर्माण किया गया है. इससे जहां आस-पास के इलाके में भू-जल स्तर बढ़ने लगा है, वहीं किसान अब धान के साथ-साथ साग-सब्जियों की भी खेती करके अतिरिक्त आमदनी कर चुके हैं.

सरगुजा
सरगुजा जिले के ग्राम पड़ौली में मछली नदी पर 92 लाख रूपए की लागत से निर्मित एनीकट भी इलाके में भू-जल स्तर बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो रहा है, वहीं इसके जरिये किसानों को धान, गेहूं, मक्का, मसूर, चना आदि की खेती के लिए सिंचाई की पर्याप्त सुविधा मिल रही है. इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो रहा है. सरगुजा जिले में ही ग्राम पंचायत सरगा में दो करोड़ 86 लाख रूपए की लागत से निर्मित एनीकट इस बार गर्मियों में भी लबालब भरा हुआ है. इसके निर्माण से किसानों में नये उत्साह का संचार हुआ है. भू-जल स्तर में भी वृद्धि हो रही है. कोरबा जिले के ग्राम बिझरा में लोगों ने गर्मियों में अक्सर होने वाले जल संकट को देखते हुए एक पहाड़ी नाले को बांधकर पानी रोकने का जो प्रयास किया है, जो उसके फलस्वरूप अब वहां निस्तारी के लिए और मवेशियों के लिए भी पर्याप्त पानी मिलने लगा है.

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