छत्तीसगढ़

चूहामार दवा से मरते 56,620 मरीज!

रायपुर | संवाददाता: चूहेमार दवा मिली सिप्रोसीन से छत्तीसगढ़ में अब तक 18 जानें जा चुकी हैं. दुनिया के इतिहास में यह पहली घटना है जब मनुष्य, चूहे मारने की दवा मिली हुई दवा खाकर इतनी संख्या में मरे हैं. सरकारी लापरवाही और कुप्रबंध के कारण हुई इन सामुहिक मौतों से इतना तो हुआ कि दवा की जांच हो पाई. अन्यथा तो राज्य के अलग-अलग इलाकों में लोग सिप्रोसीन खाते रहते और लोगों की मौत होती रहती. एक ऐसी चुप मौत हुई, जो कहीं उस रुप में दर्ज नहीं होती, जिसके लिये जहर वाली दवा को जिम्मेवार माना जा रहा है.

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आलोक शुक्ला ने माना है कि पेंडारी और गौरेला पेंड्रा के नसबंदी शिविरों में महिलाओं को मेसर्स महावर फ़ार्मा प्राइवेट लिमिटेड की सिप्रोसीन-500 टैबलेट (सिप्रोफ़्लॉक्सेसिन) खाने के बाद उल्टियां शुरू हुई, जो जानलेवा साबित हुई. राज्य सरकार ने सिप्रोसीन 500 समेत दर्जन भर दवाओं और चिकित्सा सामग्रियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया. सिप्रोसीन बनाने वाली कंपनी के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर उसके मालिक गिरफ़्तार किए गए.

उल्लेखनीय है कि पेंडारी में नसबंदी आपरेशन के बाद जिन 83 मरीजों को यह दवा दी गई थी, उसमें से 13 महिलाओं की मौते हो चुकी हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के महावर फार्मा के बनाये गये सिप्रोसीन 500 मिलीग्राम की गोली खाने से 15 फीसदी महिलाओं की मौत हो गई. बाकी के बचे 70 मरीज में से कुछ की हालत गंभीर है तथा सभी बिलासपुर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं.

छत्तीसगढ़ के पेंडारी के बाद पेंड्रा में भी जब नसबंदी के बाद मौत की खबरें आने लगी तथा बिलासपुर शहर के पास के गांवों से भी मरीज आने लगे तब छत्तीसगढ़ सरकार ने रायपुर के महावर फार्मा के सभी दवाइयों को प्रतिबंधित घोषित कर दिया. शुक्रवार को सरकारी अमले द्वारा महावर फार्मा के बनाये केवल सिप्रोसीन की ही 3 लाख 77 हजार 470 गोलियां जब्त की गई. ये जब्तियां छत्तीसगढ़ के विभिन्न् सरकारी अस्पतालों तथा कुछ दवा दुकानों से की गई.

जाहिर है छत्तीसगढ़ सरकार के इस त्वरित कदम से 56 हजार 620 लोगों की जानें बच गई हैं. जब्त की गई सिप्रोसीन की गोलियों का आंकड़ा पूरी तरह से सरकारी है जिस पर शक करने की कोई गुंजाइश नहीं है. आंकड़ों में बात करें तो अगर तमाम कोशिशों के बाद भी 15 फीसदी मरीजों की मौत इस जहर मिली दवा के कारण हो गई, तो जब्त की हुई दवाइयां अगर बिकती रहतीं तो कम से कम 56 हजार 620 लोगों का मरना तो तय था.

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