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पीएससी परीक्षा में चपरासी बना पर्यवेक्षक

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की रविवार को होने वाली राज्यसेवा प्रारंभिक परीक्षा 2012 एक बार फिर से विवादों के घेरे में आ गई है. रायपुर के शांतिनगर स्थित पीजी उमाठे शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पर्यवेक्षक के बतौर चपरासी तक की ड्यूटी लगा दी गई है. राज्य बनने के बाद से विवादों में रहे पीएससी ने दावा किया था कि वह इस बार पूरी तैयारी व चौकसी के साथ परीक्षा लेगी. लेकिन ऐन पीएससी की नाक के नीचे इस तरह की लापरवाही ने पीएससी के दावे की पोल खोल दी है. पीएससी की गोपनीयता और गंभीरता को ताक पर रख कर ऐसे लोगों को पर्यवेक्षक बना दिया गया है, जिनके सहारे आसानी से इस परीक्षा में गड़बड़ी की जा सकती है.

9 जून को पीएससी 2012 की प्रारंभिक परीक्षा के लिये बनाये गये पीजी उमाठे शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कलेक्टर के आदेश से सेवानिवृत शिक्षक, लेखपाल, पंचायत शिक्षक, बाबू और चपरासी को ही पर्यवेक्षक बना दिया गया.

कलेक्टर ने जिन 41 लोगों की बतौर पर्यवेक्षक ड्यूटी लगाई है, उसमें स्कूल की प्राचार्य विद्या सक्सेना के चपरासी करुणाकर प्रधान की ड्यूटी भी पर्यवेक्षक के रूप में लगाई गई है. इसके अलावा जिन चार लोगों की ड्यूटी इस परीक्षा के लिये लगाई गई है, उसमें श्रीमती अमिता सक्सेना, विनोद चंद्राकर, पीएन टिकरिहा और श्रीमती अल्का सिन्हा अब सेवा में नहीं हैं. इसी तरह पंचायत शिक्षक वर्ग तीन श्रीमती अरुणा राव, श्रीमती फरिदा अहमद, श्रीमती पी. रेड्डी को व्याख्याता बता कर ड्यूटी लगाई गई है. कॉलेज के कलर्क नितिन खरे, घनश्याम धुरंधर, रवि डोये और शोभा चौधरी की भी ड्यूटी लगाई गई है.

सीजी खबर ने जब इस बारे में पीएससी के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने साफ कह दिया कि पर्यवेक्षक की नियुक्ति का काम कलेक्टर का है और वे ही इस बारे में जवाब दे सकते हैं. इस बारे में जब हमने कलेक्टर से उनका जवाब जानने की कोशिश की तो उनका सेलफोन कवरेज से बाहर बता रहा था.

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