कृषि

छग में धनिया-हल्दी की नई किस्में

रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ में हल्दी तथा धनिया की नई किस्मे विकसित की गई हैं. जिससे इनकी लागत कम आती है तथा उत्पादन बढ़ता है. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में स्थित कृषि महाविद्यालय एवं कृषि अनुसंधान केन्द्र द्वारा हल्दी और धनिया की अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली तथा अधिक उपज देने वाली नई किस्में विकसित की गई है. पिछले नौ सालों के गहन अनुसंधान एवं परीक्षण के बाद कृषि वैज्ञानिकों को यह सफलता मिली है.

नई किस्मों के नोटिफिकेशन के लिए प्रस्ताव छत्तीसगढ़ द्वारा केन्द्र शासन की नोटिफिकेशन समिति भेजा जा रहा है. समिति से अनुमोदन के पश्चात नई किस्मों की हल्दी और धनिया के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे. मसाला फसलों की खेती करने वाले किसानों को धनिया और हल्दी की उन्नत किस्मों की बोआई करने पर अधिक फायदा मिलेगा. एक ओर इन फसलों की लागत में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर उत्पादन भी अधिक मिलेगा. धनिया की नई किस्म को इंदिरा धनिया-1 तथा हल्दी को इंदिरा हल्दी -1 नाम दिया गया है.

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान मसाला फसलों के अंतर्गत धनिया और हल्दी की खेती करते हैं. धनिया की नई किस्म इंदिरा धनिया प्रजाति पर अनुसंधान एवं परीक्षण वर्ष 2006-07 से चल रहा था. इसमें कृषि महाविद्यालय एवं कृषि अनुसंधान केन्द्र बोईरदादर के वैज्ञानिक लगातार लगे हुए थे. नई किस्म इंदिरा धनिया की पकने की अवधि 95 दिन है. इसकी उपज आठ क्विंटल 80 किलो प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत उपज से साढ़े अठारह प्रतिशत अधिक है.

इस प्रजाति में भभूतिया रोग और माहू कीट की प्रतिरोधक क्षमता है. इस प्रजाति की पत्ती और बीज खुशबूदार और स्वादिष्ट है. नई धनिया के पौधे की उंचाई 90 सेण्टीमीटर होती है. इसमें फूल 45 दिन में आ जाते हैं.

अधिकारियों ने बताया कि हल्दी की नई किस्म इंदिरा – 1 का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 18 से 20 टन तक होता है, यह राष्ट्रीय उत्पादन से 20 प्रतिशत अधिक है. इसमें कोलेटोट्राइकल पत्ती धब्बा, टेफाइल पत्ती धब्बा तथा राइजोस्केल कीट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी क्षमता है. यह नत्रजन उर्वरक के साथ उपज वृद्धि का सकारात्मक और नान लाजिंग प्रजाति है.

इस प्रजाति की हल्दी में प्राथमिक कंद की संख्या 04 तथा द्वितीयक कंद की संख्या 9- 10 के बीच पायी जाती है. वर्ष 2004-2005 से लगातार अनुसंधान के बाद हल्दी की नई प्रजाति तैयार की गई है.

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