छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: दमन नक्सली समस्या का हल नहीं

रायपुर | समाचार डेस्क: वामपंथी पार्टियों ने कहा है कि दमन से नक्सल समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता है. वामपंथी पार्टियों और जेएनयू-डीयू के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल को उनके बस्तर दौरे के बाद एक गढ़ी गई शिकायत पर झूठे मामले में फंसाने की साजिश के खिलाफ माकपा तथा भाकपा दोनों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह और केन्द्र सरकार के गृह मंत्री राजनाथसिंह को पत्र लिखा है तथा मांग की है कि सभी राजनैतिक पार्टियों को बिना भय के राजनैतिक गतिविधियां संचालित करने तथा पत्रकारों को ईमानदारी से जमीनी सच्चाई की रिपोर्टिंग करने की अनुमति दी जाएं.

माकपा के छत्तीसगढ़ राज्य सचिव संजय पराते ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी द्वारा जारी पत्रों को आज यहां मीडिया के लिए जारी किया.

येचुरी ने अपने पत्र में कहा है कि एक पंजीकृत और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पार्टी होने के नाते हमें बस्तर और छत्तीसगढ़ सहित देश के किसी भी हिस्से में जाने, लोगों की समस्याओं को समझने के लिए उनसे बातचीत करने तथा उन्हें संगठित कर उनकी मांगों को उठाने का संवैधानिक और कानूनी अधिकार है.

अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि राजनैतिक विरोधियों के दमन से माओवादी समस्या को हल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी. जरूरत इस बात की है कि माओवादियों को राजनैतिक रूप से अलग-थलग किया जाएं और इसके लिए अनिवार्य पूर्वाधार है कि जनतंत्र को अपनी भूमिका निबाहने दिया जाएं.

माकपा नेता ने बस्तर प्रशासन द्वारा प्रतिनिधिमंडल पर लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताते हुए न केवल खारिज किया है, बल्कि सोशल मीडिया में कलेक्टर अमित कटारिया की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके व्यवहार को ‘गैर-जिम्मेदार’ भी बताया है.

उल्लेखनीय है कि येचुरी इस समय राज्यसभा सदस्य और माकपा संसदीय दल के नेता भी हैं.

पूर्व लोकसभा सदस्य व भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी ने राज्य व केन्द्र सरकार को लिखे पत्र में बस्तर प्रशासन व पुलिस की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा है कि यह समझदारी कि जो पुलिस के साथ नहीं है, वह नक्सल-समर्थक है, सरासर वाहियात है.

उन्होंने कहा कि बस्तर पुलिस और विशेषकर आइजी एसआरपी कल्लूरी पत्रकारों, शोधकर्ताओं, वकीलों व अन्य लोगो को स्वतंत्र रूप से बस्तर में घूमने तथा मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं को प्रकाश में लाने से रोकने का काम कर रहे हैं. पुलिस का काम क़ानून-व्यवस्था को बनाए रखना है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे सरकार की नीतियों को ही निर्देशित कर रहे हैं और किसी भी जनतांत्रिक समाज के लिए यह घातक है.

उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि माकपा और भाकपा दोनों राजनैतिक व विचारधारात्मक रूप से नक्सलियों से अलग है, लेकिन साथ ही राज्य मशीनरी द्वारा नक्सलियों के दमन के नाम पर निर्दोष नागरिकों के दमन व झूठे मुठभेड़ों में उन्हें मारे जाने के भी खिलाफ हैं. रेड्डी ने अपने पत्र के साथ बस्तर दौरे में गए प्रतिनिधिमंडल द्वारा जारी बयान को भी संलग्न किया है तथा कहा है कि जनतंत्र में राजनैतिक विरोधियों से निपटने के लिए कानून का दुरूपयोग नहीं किया जाना चाहिए.

दोनों वामपंथी नेताओं ने भाजपा सरकार से आग्रह किया है कि वह प्रशासन व पुलिस को निर्देशित करें कि हमारे प्रतिनिधिमंडल सहित स्वतन्त्र शोधकर्ताओं, पत्रकारों व विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने व उन पर झूठे मुकदमे लादने से बाज आयें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!