छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में राशन 25 फीसदी महंगा

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में आम जनता राशन के महंगे हो जाने से त्रस्त है. दाल-आटे के साथ ही अब सरकार उपभोक्ताओं के महीने के राशन की कीमत भी भूल गई है. पिछले छह महीनों में चावल, दाल की महंगाई से त्रस्त जनता और भी खस्ताहाल हो गई है.

आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में महंगाई के मामले में चावल, दाल से कहीं ज्यादा एफएमसीजी उत्पाद आगे निकल गए हैं. इसके साथ ही कंपनियों ने महंगाई बढ़ाने का नया खेल भी शुरू कर दिया है. नारियल तेल, पेस्ट, साबुन, शेविंग क्रीम, शैंपू, बिस्कुट, मिक्च र आदि महंगाई के मामले में चावल, दाल से आगे निकल गए हैं. लोगों के महीने का राशन 25 फीसदी महंगा हो गया है.

थोक किराना व चिल्हर कारोबारियों का कहना है कि पिछले छह महीनों में चावल, दाल के साथ ही नारियल तेल, पाउडर, मिक्च र, चाय, डिटर्जेंट पाउडर, साबुन, बिस्कुट, शेविंग क्रीम, शैंपू आदि की कीमतों में 10 फीसदी तक इजाफा हुआ है. चावल, दाल के साथ ही इन उत्पादों के कारण महीने का राशन 20 फीसदी तक की तेजी आ गई है.

कारोबारियों का कहना है कि अब तो मालभाड़े में भी बढ़ोतरी हो गई है. इससे हालांकि बहुत से खाद्य सामग्रियों पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर एफएमसीजी कंपनियों पर सरकार ने लगाम नहीं लगाया तो महंगाई और शिखर पर पहुंच जाएगी. लोगों के महीने का राशन और ज्यादा महंगा हो जाएगा.

राजधानी के थोक किराना व चिल्हर कारोबारी नवीन गुप्ता का कहना है कि महंगाई का एक कारण अभी एफएमसीजी उत्पादों के बढ़े दाम भी है. सरकार द्वारा इनकी कीमतों में लगाम लगाने कोई उपाय भी नहीं किए जा रहे हैं. इस कारण महंगाई और विकराल रूप लेती जा रही है. इन छह महीनों में मसाले भी बेलगाम रहे.

छत्तीसगढ़ के कारोबारियों द्वारा इनकी कीमतों में बढ़ोतरी का कारण कमजोर फसल को ही बताया जा रहा है. 600 रुपये किलो बिकने वाली काली मिर्च 700-750 रुपये किलो, सौंफ 120 से 180 रुपये किलो, जीरा 130 से 170 रुपये किलो तक बिक रहे हैं. खड़े मसालों में आई तेजी के चलते ही ब्रांडेड कंपनियों के भी मसाले पैकेटों में एमआरपी से करीब तीन से चार रुपये का इजाफा हो गया है.

बताया जाता है कि मालभाड़े में बढ़ोतरी का असर प्रदेश में कुछ चीजों पर दिखाई नहीं देगा, क्योंकि बहुत सी चीजें तो ट्रकों से ही आती हैं. इनमें प्रमुख रूप से चावल, दाल, शक्कर हैं. लेकिन डीजल के दाम में तेजी के कारण ट्रक भाड़ा बढ़ने से सड़कों से आने वाले अनाज तथा एफएमसीजी उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी.

सरकार द्वारा आयात शुल्क में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद से ही शक्कर की कीमतों में तेजी आने लगी है. 3140 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाली शक्कर में दो दिनों में 80 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ गई है. स्थानीय मार्केट में शक्कर अभी 3220 रुपये प्रति क्िवटल बिक रही है. इसके साथ ही चिल्हर में यह 34 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है.

व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, शक्कर की कीमतों में अभी और भी तेजी आ सकती है. इसका सबसे पहला कारण तो यह है कि ऊपरी मार्केट फिर से तेज होने लगा है. इसके साथ ही अब एक बार फिर से शक्कर में मुनाफाखोरी का दौर शुरू होने की आशंका बनी हुई है.

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