छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: अस्पताल पर 10 लाख का जुर्माना

रायपुर | एजेंसी: भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर-9 अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से एक मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच गया. डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद रुई का गुच्छा और कागज मरीज के पेट में छोड़ दिया था. वहीं मरीज को पेट दर्द के बाद भी अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था.

डॉक्टर की लापरवाही को राज्य उपभोक्ता आयोग ने गंभीरता से लेते हुए अस्पताल पर 10 लाख रुपये का जुर्माना और मरीज से ली गई फीस की राशि लौटने का फैसला दिया है.

निशांत कुमार सिंह सुपेला में कपड़े का व्यवसायी है. 24 फरवरी, 2012 को पेट दर्द से परेशान होकर वह बीएसपी के मुख्य अस्पताल पं. जवाहर लाल नेहरू अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर सेक्टर-9 पहुंचा. जहां उसे अपेंडिक्स की डायग्नोस कर भर्ती कर लिया गया. इसके बाद 25 फरवरी को उसका ऑपरेशन किया गया.

जिसके बाद भी उसे पेट दर्द होता रहा है. शिकायत के बाद डॉक्टरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. 3 मार्च 2012 को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. पेट दर्द की शिकायत पर उसे 22 अप्रैल को फिर अस्पताल लाया गया, लेकिन उसकी समस्या दूर नहीं हुई तब डॉक्टरों ने उसे कहीं और इलाज करवा लेने कह दिया.

इसके बाद निशांत सिंह का इलाज धनवंतरि अस्पताल में हुआ. जहां 11 मई को उसका ऑपरेशन का पेट से रुई का गुच्छा और कागज निकाला गया.

राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही के इस केस में जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले को सही ठहराते हुए अपने फैसले में कहा है कि बीएसपी के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर इलाज में लापरवाही के लिए मरीज को 10 लाख रुपये देगा. साथ ही ऑपरेशन के लिए मरीज से लिया गया खर्च 81 हजार 751 रुपये भी लौटाएगा.

मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस आर.एस. शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि चिकित्सकीय उपेक्षा के लिए बीएसपी और से.-9 अस्पताल जिम्मेदार है. जिला उपभोक्ता फोरम ने 26 मार्च, 2014 को क्षतिपूर्ति का जो आदेश दिया है, वह उचित है.

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