छत्तीसगढ़

अदालत ने पूछा, क्या कर रही सरकार?

बिलासपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ की राजधानी और न्यायधानी के अलावा समूचे सूबे में अव्यवस्था का आलम है. लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. सड़कें खराब हैं, नालियां जाम हैं, कचरों का अंबार लगा हुआ है. लोगों को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया गया है. यह तल्ख टिप्पणी उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता से सवाल किया कि लोगों को बुनियादी सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार क्या कर रही है? अदालत ने दो सप्ताह के भीतर कार्ययोजना का खुलासा करते हुए पूरी रिपोर्ट पेश करने का फरमान जारी किया.

हाईकोर्ट की तल्खी को लेकर प्रशासनिक अमलों में हड़कंप मच गया है. रायपुर नगर निगम में सफाई व्यवस्था चौपट होने और इसके चलते मलेरिया, पीलिया, चिकनगुनिया जैसे संक्रामक रोग से लोगों की हो रही मौत को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. रायपुर निवासी ममता शर्मा ने वकील नरेंद्र चंदेल व अजय बारिक के जरिए जनहित याचिका दायर कर रायपुर नगर निगम की सफाई व्यवस्था के चौपट होने के कारण लोगों की जानमाल को खतरा होने का अंदेशा जाहिर किया है.

याचिका के अनुसार, रायपुर नगर निगम ने एक आदेश जारी कर ठोस कचरा प्रबंधन योजना के तहत शहर की सफाई व्यवस्था का काम किवार कंपनी को सौंप दिया है. इसके एवज में उसे लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है. ठेका कंपनी व निगम प्रशासन के बीच आधिकारिक तौर पर अनुबंध भी कर लिया गया है. ठेका शर्तो के अनुसार, शहर की सफाई व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी ठेका कंपनी को दे दी गई है.

लिहाजा, शहर की साफ-सफाई, कचरों को उठाना तथा उसे एक निश्चित जगह पर डंप करने के अलावा नाले व नालियों की सफाई का काम भी ठेका कंपनी को करना है. सफाई के एवज में ठेका कंपनी को भारी-भरकम रकम देने के बाद भी निगम के आला अफसरों का उस पर नियंत्रण नहीं है. कंपनी के स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी मनमानी पर उतर आए हैं.

शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है. कचरों के कारण नालियां बजबजा रही हैं. दरुगध के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. शहर की प्रमुख सड़कों व मोहल्लों की सफाई न होने के कारण कचरों का ढेर पड़ा हुआ है. इसके बीच से लोगों को आना-जाना पड़ रहा है. इसके चलते अब संक्रामक रोग का खतरा उत्पन्न हो गया है. निचली बस्ती इलाके में लोगों को संक्रामक रोग तेजी के साथ जकड़ रहा है. इससे लोगों के बीच जानमाल का खतरा उत्पन्न हो गया है.

साफ-सफाई के अभाव में निचली बस्ती इलाके में संक्रामक रोगों से सैकड़ों लोगों की जान चली गई. मलेरिया व पीलिया से मरने वालों की संख्या 200 पार कर गया है. वर्तमान में शहर की निचली बस्ती इलाके में मलेरिया, पीलिया व चिकनगुनिया का प्रकोप देखा जा सकता है. सफाई व्यवस्था के चौपट होने के अलावा निगम द्वारा प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य शिविर भी नहीं लगाया जा रहा है. चारों तरफ अव्यवस्था का आलम है.

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा की खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राजधानी से से लेकर समूचे प्रदेश में यही स्थिति है. अदालत ने शासन की ओर से पैरवी करने पहुंचे अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत से पूछा कि सरकार के कामकाज की प्रणाली क्या है, लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा रही हैं?

अदालत ने सरकार की कार्ययोजना के संबंध में दो सप्ताह के भीतर मुकम्मल रिपोर्ट पेश करने का निर्देश जारी किया है.

error: Content is protected !!