छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ को ‘बी’ श्रेणी क्यों?

रायपुर | विशेष संवाददाता: देश में सबसे ज्यादा माओवाद से प्रभावित होने वाले छत्तीसगढ़ को केन्द्र ‘बी’ श्रेणी की सहायता देता है. जबकि पूर्वोतर के राज्यों तथा जम्मू कश्मीर को उग्रवाद से जूझने के कारण ‘ए’ श्रेणी में रखा गया है. उल्लेखनीय है कि ‘ए’ श्रेणी के राज्यों को इस समस्या से जूझने के लिये केन्द्र सरकार 90 फीसदी सहायता करती है तथा ‘बी’ श्रेणी के राज्यों को केवल 60 फीसदी सहायता ही दी जाती है.

बुधवार को राज्यसभा में इस सवाल को भाजपा के सांसद डॉ. भूषणलाल जांगड़े ने उठाया था. जिसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हरीभाई पार्थीभाई चौधरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को किसी भी तरह से ‘ए’ श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. छत्तीसगढ़ को पिछले दो वर्षों में स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम में 115 करोड़ रुपए और एसआर स्कीम में 381 करोड़ रुपए दिए गए हैं, तीन अतिरिक्त केंद्रीय सहायता भी दी गई है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि माओवाद प्रभावित राज्यों में पुलिस आधुनिकीकरण का काम भी राज्यों को अपने संसाधनों के माध्यम से करना होगा.

उग्रवाद से जूझने वाले राज्यों में हो रहे सुरक्षा बलों, नागरिकों तथा उग्रवादियों के मौतों का हिसाब-किताब रखने वाली एक विश्वसनीय गैर-सरकारी संगठन के आकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में जनवरी 2005 से लेकर 10 मई 2015 के बीच 2246 मौते माओवादियों के कारण हुई है. जिसमें खुद माओवादी, नागरिक तथा सुरक्षा बलों के जवान शामिल हैं. गौरतलब है कि देश के अन्य माओवादी प्रभावित राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा लोग मारे जाते हैं.

इसी अवधि में आंध्रप्रदेश में माओवाद से 715, असम में 4, बिहार में 613, झारखंड में 1349, कर्नाटक में 31, केरल में 1, मध्यप्रदेश में 2, महाराष्ट्र में 426, ओडीशा में 619, तमिलनाडु में 1, तेलंगाना में 3, उत्तरप्रदेश में 15 तथा पश्चिम बंगाल में 699 लोग कुल मारे गये.

इसी तरह से पूर्वोत्तर के सात राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड तथा त्रिपुरा में इसी अवधि में कुल 6002 लोग मारे गये हैं. इस तरह से इन पूर्वोत्तर के राज्यों में इस अवधि में औसतन 857 लोग प्रति राज्य मारे गये हैं.

यदि पूर्वोत्तर के राज्यों के केवल 2014 के आकड़ों को लिया जाये तो अरुणाचल प्रदेश में 9, असम में 305, मणिपुर में 54, मेघालय में 76, मिजोरम में 2, नगालैंड में 16 तथा त्रिपुरा में 4 लोग मारे गये हैं. इनकी तुलना में अकेले छत्तीसगढ़ में ही 2014 में 113 लोग मारे गये हैं. केवल मात्र असम में छत्तीसगढ़ की तुलना में ज्यादा लोग मारे गये हैं.

यदि पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवाद से मारे गये लोगों की संख्या 2005 से 10 मई 2015 तक की देखी जाये तो अरुणाचल प्रदेश में 97, असम में 2391, मणिपुर में 2382, मेघालय में 321, मिजोरम में 48, नगालैंड में 545 तथा त्रिपुरा में 218 लोग मारे गये हैं.

जम्मू कश्मीर में इसी अवधि में उग्रवादी गतिविधियों में 34,736 जवान, उग्रवादी तथा नागरिक मारे गये हैं.

जाहिर है कि उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में संख्या के अनुसार सबसे ज्यादा मौतें जम्मू कश्मीर में 34,736, असम में 2391, मणिपुर में 2382 उसे बाद छत्तीसगढ़ में 2246 हुई है.

छत्तीसगढ़ के हालात ऐसे हैं कि प्रधानमंत्री के दौरे के समय माओवादी एक पूरे गांव को बंदी बना लेते हैं. आकड़े गवाह है कि केन्द्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ को भी ‘ए’ श्रेणी में रखा जाना चाहिये.

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