छत्तीसगढ़

कोर्ट सोनू की फांसी रोक नहीं सकती

नयी दिल्ली | समाचार डेस्क: सोनू सरदार की फांसी का मामला दिल्ली हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर का है. छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अधिवक्ता अतुल झा ने कहा. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 मार्च 2015 को 5 लोगों की हत्या के दोषी छत्तीसगढ़ के सोनू सरदार की फांसी पर रोक लगाई थी. सरदार ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके मौत के वारंट पर 4 मार्च 2015 को हस्ताक्षर होने थे.

यह बात जस्टिस जीएस सिस्तानी और जस्टिस विनोद गोयल की पीठ से कही गई और पीठ ने दोषी द्वारा दायर एक याचिका की विचारणीयता को चुनौती देने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

छत्तीसगढ़ सरकार के अधिवक्ता अतुल झा ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के पास दोषी सोनू सरदार की फांसी पर रोक लगाने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि अपराध छत्तीसगढ़ में हुआ था.

उल्लेखनीय है कि 19 जून 2014 को छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर की अदालत ने सोनू सरदार का डेथ वारंट भी जारी कर दिया था. इसके बाद सोनू को किसी भी समय फांसी दी जा सकती थी. रायपुर जेल में तो फांसी की तैयारी भी शुरु हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में उसकी फांसी पर रोक लगा दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने रिट क्रमांक 117/2014 पर सुनवाई करते हुये सोनू सरदार की सज़ा पर रोक लगा दी थी. जस्टिस विक्रमजीत सेन और शिवाकीर्ति सिंह की खंडपीठ ने फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी.

बैकुंठपुर के इस बहुचर्तित मामले में सोनू सरदार को फांसी की सजा सुनाई गई थी. सोनू सरदार समेत 5 लोगों पर 26 नवंबर 2004 को बैकुंठपुर में कबाड़ का व्यापार करने वाले शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुखसाना, बेटी रानो (5), बेटे याकूब (3) और पांच माह की एक बेटी की हत्या कर का आरोप था.

हत्या के कुछ दिनों बाद 4 आरोपी पकड़े गये लेकिन 1 आरोपी अभी भी फरार है. इस मामले में 2008 में निचली अदालत ने सभी को फांसी की सजा दी थी.

इसके बाद 2010 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी की फांसी की सजा को बरकरार रखा. बाद में 23 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने 4 लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी.

इसके बाद सोनू ने राष्ट्रपति के समक्ष याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी. भारत सरकार ने 8 मई को सोनू की मौत के फरमान पर मुहर लगाई.

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