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गांधी जयंती पर तोड़ा कोल कानून

रायगढ़ | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के तमनार में ग्रामीणों ने गांधी जयंती के दिन कोयला कानून तोड़कर अपना विरोध दर्ज करवाया. कोल ब्लॉको को औद्योगिक घरानों को दिये जाने के विरोध में गारे में बड़ी ग्राम सभा का आयोजन कर हजारों ने कोयला उत्खनन करके कोयला कानून तोड़ा है.

करीब 50 गांवों के ग्रामीणों ने इस ग्राम सभा की बैठक में भाग लिया. ग्रामीणों का कहना है कि जिसे कोयला चाहिये हम देंगे तथा सरकार को रायल्टी भी देंगे. इसके अलावा मुनाफे से कॉरपोरेट सोशल रेसपांनसिबिटी की मद से गांवों का विकास करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे आसपास के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा.

ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें उमक्रम बनाकर कोयला खनन की अनुमति दी जाये.

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता सविता रथ ने बताया कि ग्रामीण इसके लिए बकायदा कोल डिपो तैयार रखे हैं. शासन यदि उन्हें कोल उत्खनन कर बिक्री करने की अनुमति देती है तो वे औद्योगिक घराने से अधिक दर पर कोयले की रायल्टी देने को तैयार हैं.

गारे पल्मा कोल ब्लॉक
केन्द्र सरकार ने मार्च माह में छत्तीसगढ़ के तीन कोयला खदानों को कोल इंडिया को दे दिया है. पहले जिंदल पॉवर एंड स्टील ने नीलामी में बोली लगाकर इसे प्राप्त किया था. जिंदल पर आरोप है कि यह बोलिया फिक्स थी. इस कारण से केन्द्र सरकार ने इन कोयला खदानों की बोलियों को रद्द करते हुये इन्हें कोल इंडिया को आवंटित कर दिया है.

कोयला ब्लॉक की नीलामी में कुछ रद्द की गई अधिकतम बोली वाले तीन खदानों का आवंटन कोयला मंत्रालय ने कोल इंडिया लिमिटेड को कर दिया. अधिकतम बोली रद्द किए जाने के विरुद्ध जिंदल स्टील एंड पॉवर ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की. कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गारे पल्मा 4/1, 4/2 और 4/3 का आवंटन कोल इंडिया को कर दिया गया है. दो चरणों की नीलामी में इन ब्लॉकों के लिए जेएसपीएल और बाल्को ने अधिकतम बोली लगाई थी.

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