छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में पानी कम

रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ पीने का पानी उपलब्ध कराने में देश में सबसे पीछे है. राज्य को जरूरत है एक भागीरथी प्रयास की जिससे पीने का पानी सुगमता से उपलब्ध हो जाये.नेशनल सैंपल सर्वे के द्वारा जारी किये गये आकड़ें ऐलान करते हैं कि छत्तीसगढ़ के गांवों में तथा शहरों में घरों में पीने की पानी की व्यवस्था राष्ट्रीय स्तर की तुलना में कम है. जिस राज्य में पीने के पानी के लिये घर की महिलाओं को रोज आधे किलोमीटर का सफर करना पड़ता है, उस राज्य को निश्चित तौर पर भागीरथी प्रयास करने की जरूरत है.

छत्तीसगढ़ के गांवों में प्रति 1000 परिवारों में से केवल 173 परिवारों के पास अपने घर में ही पीने के पानी का स्त्रोत है. जबकि 636 परिवारों को 200 मीटर तक तथा 186 परिवारों को 500 मीटर की दूरी पीने के पानी के स्त्रोत तक पहुचने के लिये करना पड़ता है. यदि इसकी तुलना राष्ट्रीय स्तर से की जाये तो नेशनल सैंपल सर्वे के 69वां राउंड के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति 1000 परिवारों में से 461 परिवारों के घर में ही पीने के पानी मुहैय्या है. वहीं 409 परिवारों को 200 मीटर तथा 93 परिवारों को 500 मीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

इस लिहाज से राष्ट्रीय मानकों के विपरीत छत्तीसगढ़ के गांवों के लोगों को पीने के पानी की सुविधा कम मिलती है. गौरतलब है कि नेशनल सैंपल सर्वे का यह आकड़ा वर्ष 2012 में किये गये सर्वेक्षण पर आधारित है जोकि सबसे ताजा है.

नेशनल सैंपल सर्वे से यह बात उभर कर आई है कि छत्तीसगढ़ के गांवों में जिनके यहां पीने का पानी नहीं है इसे लेने के लिये अपने घर से औसतन 18 मिनट का समय लगता है तथा उन्हें वहां पर औसतन 13 मिनट तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है. इस प्रकार से गांवों में पीने के पानी को लाने के लिये दिन में 31 मिनट या करीब आधे घंटे का समय लगता है.

हालांकि, राष्ट्रीय लिहाज से छत्तीसगढ़ में औसतन समय कम लगता है. राष्ट्रीय स्तर के आकड़ों के अनुसार पीने के पानी के लाने में औसतन 20 मिनट का समय लगता है तथा वहां पर 15 मिनट प्रतीक्षा करनी पड़ती है.

छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में पीने के पानी के स्त्रोत प्रति 1000 में से 619 परिवारों के घर पर ही है तथा 349 परिवारों को 200 मीटर तथा 31 परिवारों को 500 मीटर दूर जाना पड़ता है. छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों की तुलना यदि राष्ट्रीय स्तर से करें तो नेशनल सैंपल सर्वे के सर्वेक्षण के आकड़े बताते हैं कि प्रति 1000 में से 768 परिवारों के घर में ही पीने के पानी की व्यवस्था है तथा 182 परिवारों को 200 मीटर तक तथा 29 परिवारों को 500 मीटर दूर जाना पड़ता है.

छत्तीसगढ़ के शहरी इलाकों में जिन परिवारों को पीने के पानी को लाने के लिये अपने घर से दूर जाना पड़ता है उन्हें दिन में 25 मिनट का समय इसमें लगता है तथा 14 मिनट वहां पर प्रतीक्षा करनी पड़ती है. इस प्रकार से शहरी क्षेत्रों में 39 मिनट का समय लगता है पीने के पानी को घर तक लाने में. वहीं राष्ट्रीय आकड़े के अनुसार इसमें 15 मिनट का समय लगता है पानी लाने में तथा 16 मिनट वहां प्रतीक्षा करनी पड़ती है.

यहां पर इस बात का अवश्य उल्लेख किया जाना चाहिये कि छत्तीसगढ़ सरकार शहरी गरीब बस्तियों के लिये भागीरथी नल जल योजना चला रही है. इसके तहत शहरी क्षेत्रों की गरीब बस्तियों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है. उसके बावजूद शहरी क्षेत्रों में भी 39 मिनट का समय पीने के पानी को घर तक लाने में लगता है.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों को कुल 260 करोड़ रूपए से अधिक की राशि आबंटित की गई है.

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