छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में फैल रहा है डेंगू

रायपुर | संवाददाता: दिल्ली के बाद छत्तीसगढ़ में डेंगू धीरे-धीरे पैर पसार रहा है. छत्तीसगढ़ में सुकमा के बाद डेंगू के मरीज अब राजधानी रायपुर में भी मिलने लगे हैं. बस्तर के सुकमा में अब तक डेंगू के 225 मरीज तथा रायपुर में 171 मरीज मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब तक राज्य में इस रोग से कोई मौत नहीं हुई है. छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी 15 से 30 सितंबर तक घर-घर में डेंगू के मरीज की खोज कर रहे हैं. पूरा स्वास्थ्य अमला डेंगू के साथ-साथ मलेरिया, कुष्ठ के मरीजों की खोज कर रहा है.

स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. खेमराज सोनवानी का कहना है,”स्वास्थ्य कार्यकर्ता लगातार घर-घर जाकर डेंगू मरीजों को ढूंढ़ने में लगे हुए हैं. क्योंकि मरीज कई बार खुद इलाज करवाने नहीं पहुंचता, इसलिए अभियान चलाया जा रहा है. अब तक कोई मौत नहीं हुई है. स्थिति बिल्कुल नियंत्रण में है.”

उल्लेखनीय है कि पिछले साल राजधानी रायपुर में डेंगू से 8 लोगों की मौत हो गई थी. इसलिये इस साल स्वास्थ्य महकमा ज्यादा सतर्क है.

इस साल 1 जुलाई से अब तक राज्य में बुखार के 22,814 मरीज मिले हैं जबकि मलेरिया के लिये 22,866 मरीजों का परीक्षण किया गया जिसमें से 1230 मरीज मिले हैं.

डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं. यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है. हलांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है. यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है.

जाने क्या हैं इसके लक्षण
डेंगू को ‘हड्डीतोड़ बुख़ार’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों. डेंगू के शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज ठंड लगती है, सिरदर्द, कमरदर्द और आंखों में तेज दर्द हो सकता है. इसके साथ ही उसे लगातार तेज बुखार रहता है. इसके अलावा, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, उल्टियां, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

इसका उपचार कैसे होता है
डेंगू वायरस के कारण होता है इसलिए इसका उपचार किसी एक तरह से संभव नहीं है. डेंगू का उपचार इसके लक्षणों में होने वाले आराम को देखते हुए किया जाता है. ऐसे में जरूरी है कि इन लक्षणों को पहचानकर व्यक्ति बिना देरी के चिकित्सक से मिले और इसका उपचार करवाए. इस दौरान अधिक से अधिक पानी व पेय लेना चाहिए और आराम करना जरूरी है.

डेंगू के उपचार में अगर अधिक देरी हो जाए तो यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर (डीएचएफ) का रूप ले लेता है और अधिक भयावह हो सकता है. डीएचएफ की आशंका दस साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा होती है जिसमें उन्हें तेज पेट दर्द, ब्लीडिंग और शॉक जैसी सैमस्याएं हो सकती हैं.

डेंगू से बचाव के उपाय
फिलहाल डेंगू से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका नहीं है इसलिए इसके बचाव के लिए हमारी सजगता और भी जरूरी है. डेंगू का वायरस मच्छरों द्वारा संक्रमित होता है इसलिए सबसे अधिक जरूरी है कि मच्छरों को घर में बिल्कुल न होने दें. साफ-सफाई बहुत जरूरी है क्योंकि गंदगी में डेंगू के मच्छरों की आशंका बढ़ जाती है. बाल्टियों व ड्रम में जमा पानी को हमेशा ढंककर रखें और आस-पास के गड्ढे आदि में पानी न जमा होने दें.

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