बिलासपुर

बुलेट ट्रेन सर्वे रिपोर्ट 15 अगस्त तक

रायपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ में बिलासपुर-नागपुर के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की कवायद तेज हो गई है. रेलवे बोर्ड के निर्देश पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर के अफसर सर्वे लागत रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हुए हैं. यह रिपोर्ट 15 अगस्त तक उन्हें बोर्ड को सौंपनी है.

इसके आधार पर यह सर्वे होगा कि सेमी बुलेट ट्रेन चलाने के लिए मौजूदा ट्रैक में क्या और कितना बदलाव करना पड़ेगा, रेल अफसरों के अनुसार बेहतर ट्रैक के बावजूद स्पीड ट्रेन चलाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ेंगे. इसमें ब्रिज और पुल में बदलाव के साथ ही काफी हिस्से की फेंसिंग करनी पड़ेगी.

छत्तीसगढ़ में मुख्यालय वाले दपूम रेलवे बिलासपुर के सीपीआरओ आरके अग्रवाल ने बताया कि अभी तो हम हाईस्पीड ट्रैक के लिए होने वाले सर्वे की लागत तय करने में लगे हैं. यह रिपोर्ट हमें 15 अगस्त तक तैयार करके देना है. सर्वे में ट्रैक, सिग्नल और ओएचई से लेकर फेंसिंग आदि की जरूरत और लागत देखी जाएगी. पूरे प्रोजेक्ट पर कितना खर्च आएगा, यह अभी बता पाना संभव नहीं है.

बिलासपुर-रायपुर के करीब 411 किमी रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने के प्रस्ताव पर यहां के अफसर भी उत्साहित हैं. आला अफसरों से लेकर रेलवे के इंजीनियर भी खर्च सहित अन्य अनुमान लगा रहे हैं. मंडल के ऑपरेटिंग और इलेक्ट्रिक विभाग से जुड़े अफसरों के अनुसार पूरा ट्रैक अच्छा है, कुछ स्थानों पर स्लीपर बदलने पड़ेंगे या थोड़ा बेस ठीक करना पड़ेगा.

अफसरों के अनुसार सबसे ज्यादा समस्या अनाधिकृत रेलवे क्रॉसिंग, घनी आबादी, मवेशी व जानवरों को लेकर है, क्योंकि 411 किमी के रूट में करीब आधे हिस्से में यह समस्या है. इसके लिए ट्रैक के दोनों तरफ फेंसिंग करनी पड़ेगी.

रेल अफसरों के अनुसार स्पीड ट्रेन के लिए करोड़ों रुपये का खर्च आएगा. एक अनुमान के अनुसार केवल ओएचई पर ही 18 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे. हाईस्पीड ट्रेन के लिए ओवर हेड इलेक्ट्रिक तार भी बदलना पड़ेगा. इसके अलावा सिग्नल, क्रॉसिंग, पुलिया और ब्रिज पर भी काफी खर्च होगा.

रेल बजट में बिलासपुर-नागपुर सहित कुल 9 रूटों पर सेमी बुलेट ट्रेन की घोषणा की गई है. रेल अफसरों के अनुसार संभवत: इनमें बिलासपुर-नागपुर पहला रूट होगा, जहां सबसे पहले स्पीड ट्रेन दौड़ेगी.

इस अफसर ने कहा कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेन्द्र कुमार बिलासपुर जोन महाप्रबंधक रह चुके हैं. उन्हें पूरे ट्रैक की जानकारी है और संभवत: इस रूट के लिए वे व्यक्तिगत रुचि भी ले सकते हैं. इसी वजह इस प्रोजेक्ट को लेकर यहां तेजी से काम चल रहा है.

करोड़ों रुपये की लागत से चलने वाली सेमी बुलेट ट्रेन का सफर यात्रियों की जेब पर भारी पड़ेगा. इसकी सामान्य श्रेणी का किराया मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के एसी के किराया से भी अधिक हो सकता है. रेल अफसरों के अनुसार पैसेंजर ट्रेन की तुलना में एक्सप्रेस का किराया लगभग दोगुना होता है. वहीं सुपरफास्ट ट्रेनों का किराया एक्सप्रेस से ज्यादा है.

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