बस्तर

बस्तर में कैंसर से हर साल 6 मौतें

जगदलपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में साल दर साल कैंसर से पीड़ितों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद भी मेकाज में इसके उपचार की व्यवस्था नहीं हो पाई है. जानकारी और जागरूकता के अभाव में कैंसर पीड़ितों की संख्या अनुपातिक रूप से बढ़ रही है. वहीं संसाधनों के अभाव में हर साल आधा दर्जन मरीजों की मौत भी हो रही है. बावजूद इसके मेकाज प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग स्थानीय स्तर पर इस बीमारी पर नियंत्रण पाने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं.

मेकाज में कोबाल्ट यूनिट का कोई पता नहीं है. वहीं सर्जरी के लिए यूको सर्जन भी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. खानापूर्ति के नाम पर मरीजों को कीमियोथैरेपी के नाम पर कुछ दवाएं देकर उन्हें रेफर करने तक ही मेकाज के डॉक्टर सीमित हैं. कैंसर पीड़ितों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी को लेकर सबसे अधिक संवेदनशीनल ब्लाक जगदलपुर हो गया है.

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जगदलपुर की निचली बस्तियों में रहने वाले अधिकांश परिवारों में यह बीमारी ज्यादा पाई जा रही है. पीड़ितों में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा है. इनमें से अधिकांश लोगों की उम्र 16 से 45 साल के बीच है.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बस्तर जिले में 2014 में कैंसर से पीड़ित 149 मरीज पाए गए, जिसमें स्तन कैंसर के 20, फेफड़ों के कैंसर से 2, मुख कैंसर के 29, व सर्विक्स कैंसर के 12 तथा अन्य कैंसर के 86 मरीज शामिल थे.

यह स्थिति तब है, जब कुछ साल पहले से जिले के सातों ब्लाकों में एनीमिया के बाद कैंसर को सबसे अधिक खतरनाक बताया गया था. इस वर्ष बस्तर में एक मरीज की मौत जहां मुख कैंसर से हुई है, वहीं पांच मरीजों की मौत अन्य कैंसर से हुई है.

मेडिकल कालेज सह महारानी अस्पताल में कैंसर के मरीजों को राहत देने के लिए मेकाज से यहां रेडियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति की है. लेकिन मेकाज में संसाधन उपलब्ध नहीं है.

रेडियोथेरेपिस्ट डॉ. सुरेश ठाकुर ने बताया कि मशीन न होने के चलते वे मरीजों का उपचार नहीं कर पा रहे हैं. इलाज के नाम पर मरीजों को कुछ दवाएं दी जा रही हैं. संसाधन उपलब्ध न कराने के बाद भी मेकाज डाक्टरों को लाखों रुपये का भुगतान वेतन के रूप में कर रहा है.

महारानी हास्पिटल के अधीक्षक डॉ.अविनाश मेश्राम ने बताया कि मेकाज में काम करने के लिए अब तक मेडिकल फिजीपिस्ट नहीं मिल रहे हैं. इसके चलते सारी सुविधाएं शुरू नहीं हो पा रही हैं. अन्य डाक्टरों के जरिए काम चलाऊ उपचार किया जा रहा है. गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार के लिए रायपुर या अन्य स्थानों के लिए रेफर किया जा रहा है.

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