छत्तीसगढ़सरगुजा

बैंक डकैती का सरगना अब तक फरार

अंबिकापुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के ग्रामीण बैंक डकैती का सरगना अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. उसे गिरफ्तार करने के लिये बिहार गई अंबिकापुर पुलिस वापस लौट आई है. उन्हें कई स्थानों पर दबिश दी लेकिन मुख्य आरोपी संतोष पकड़ में नहीं आया है. बताया जा रहा है कि उसी के पास चोरी किये गये गहने हैं. गौरतलब है कि अंबिकापुर के महामाया चौक स्थित ग्रामीण बैंक में 10 से 12 दिसंबर की छुट्‌टी के दौरान चोरों ने लाकर काटकर एक करोड़ से ज्यादा के जेवर पार कर दिये थे. जाते समय चोरों ने बैंक के चैनल व शटर में अपना ताला बंद कर दिया था. चोरी के बारे में 13 दिसंबर को उस समय पता चला. मामले में पुलिस ने अंबिकापुर निगम आयुक्त के ड्राइवर सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार चारों आरोपी अभी तक यही बता रहें हैं कि चोरी गया जेवर संतोष ने अपने पास रख लिया हैं. पुलिस उम्मीद जता रही थी कि संतोष यदि जेवर बेच भी दिया होगा तो उसकी निशानदेही पर जेवर बरामद कर मामले में साक्ष्य के रूप में पेश किया जा सकता है. इससे पूरी प्लानिंग पर पानी फिर गया है. अब आरोपियों के पास चोरी के जेवर को खपाने का और समय मिल जायेगा.

पुलिस ने कुल 3 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है. अशोक रावत से मिली जानकारी के अनुसार वारदात में 7 लोग शामिल थे. पुलिस ने 3 डकैतों के पास से 89 हजार 600 रुपये बरामद किये हैं.

12 दिसंबर को जब अंबिकापुर के ग्रामीण बैंक में डकैती का खुलासा हुआ तो पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज की जांच की. जिससे इस बात का पता चला कि अशोक रावत की गाड़ी वहां पर आई थी. वहीं राकेश रावत के साथ संदिग्धों के आने की खबर भी मिली. जब पुलिस ने निगम के इस ड्राइवर को पकड़कर थाने लाया तो डकैती का खुलासा हुआ. उल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंक के 12 लॉकरों को काटकर उसमें रखे गहने तथा कैश उड़ा दिये गये थे. लॉकरों को गैस कटर से काटा गया था.

निगम के ड्राइवर अशोक रावत ने पुलिस को बताया कि मध्यप्रदेश के सिंगरौली में रहने वाले ड्राइवर राकेश पाठक ने डकैती की पूरी प्लानिंग बनाई थी. अशोक रावत से बैंक डकैती में से हिस्सा देने की बात हुई थी. अशोक रावत ने ही अपने बाइक में बैठाकर राकेश पाठक को आसपास के बैंकों को दिखाया था.

राकेश पाठक को सुनसान गली में होने के कारण अंबिकापुर का ग्रामीण बैंक सुरक्षित लगा तथा फिर इसकी रेकी की गई. डकैतों ने 9 दिसंबर को ही बैंक का ताला तोड़कर नया ताला लगा दिया था. वे रात को आकर लॉकर काटते तथा सुबह उसमें ताला लगाकर चले जाते थे.

बैंक डकैती के मुख्य आरोपी के न पकड़े जाने पर पुलिस के मामले की तह तक पहुंचने की संभावना क्षीण हो गई है. इसी के साथ चोरी गये गहने भी बरामद नहीं किया जा सके हैं.

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