छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र से बढ़िया

रायपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़िया वाकई में सबले बढ़िया है आर्थिक विकास में यह महाराष्ट्र से काफी आगे निकल चुका है. 2014-15 में छत्तीसगढ़ की विकास दर 13.20 फीसदी रह सकती है. वहीं दूसरी ओर इसी वर्ष महाराष्ट्र की विकास दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है. महाराष्ट्र में वर्षा कम होने से कृषि एवं संबंधित गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, परिणामस्वरूप विकास दर पिछले तीन वर्षों से लगातार घट रही है. महाराष्ट्र की विकास दर वर्ष 2012-13 में 7.8 प्रतिशत और 2013-14 में 7.3 प्रतिशत थी. 17 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा में 2014-15 के लिए पेश राज्य का आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक औसत से 70 प्रतिशत कम वर्षा होने की वजह से कृषि तथा संबंधित गतिविधियों में 8.5 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान लगाया गया है. पिछले चार वर्षों में महाराष्ट्र के आर्थिक विकास पर नजर डालें तो जाहिर होता है कि कृषि क्षेत्र में खराब प्रदर्शन से राज्य की आर्थिक विकास दर बुरी तरह प्रभावित हुई.

छत्तीसगढ़ में 2014-15 में कृषि क्षेत्र में 14.18 प्रतिशत, औद्योगिक क्षेत्र में 10.62 प्रतिशत एवं सेवा क्षेत्र में 15.21 प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है.

छत्तीसगढ़ में डा. रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 में पहली बार अलग से कृषि बजट प्रस्तुत किया गया था. 2014-15 में छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 22 प्रतिशत तक पहुंच गया है.

रमन सिंह सरकार ने कृषि क्षेत्र को प्रोत्साह देने के लिए समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन, कृषि उत्पादों पर बोनस, रियायती ब्याज दर पर कृषि ऋण एवं सिंचाई हेतु नि:शुल्क बिजली जैसी पहल की है. इसके अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं और इसका प्रभाव राज्य की प्रगति पर स्पष्ट तौर पर देखा जा रहा है.

इधर दूसरी ओर, महाराष्ट्र में 2014-15 के लिए कृषि क्षेत्र में 12 प्रतिशत घटाव का अनुमान है. ताजा महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, समग्र रूप से कृषि, उद्यानिकी तथा मछली पालन क्षेत्र के 8.5 प्रतिशत धटने का अनुमान है.

भारतीय जनता पार्टी शासित महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बजट प्रस्तुत करते हुए कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत विकास दर हासिल करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है. वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि वर्ष 2015 कृषि को समर्पित होगा. इसके बावजूद किसानों के हित के लिए कोई नई विशेष योजना नहीं लाई गई है. बजट को देखकर ऐसा लगता है कि इस वर्ष महाराष्ट्र सरकार का मुख्य ध्यान सिंचाई के साधनों का विकास करना तथा सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करना, ताकि खेती के लिए पानी की आपूर्ति की जा सके.

महाराष्ट्र बजट में लघु सिचाई परियजोनाओं के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. पायलट परियोजनाओं के अंतर्गत 7,540 सौर सिंचाई पम्प लगाए जाएंगे. कृषि विद्युत पम्पों के लिए 980 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे. गांवों में जल संरक्षण के लिए 1,000 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है. वर्ष 2015-16 में 38 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 7,272 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है.

बुधवार को ही आई एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि विदर्भ के यवतमाल के चार गांवों में 67 प्रतिशत किसान अल्प बारिश और प्राकृतिक आपदा की वजह से घोर निराशा से पीड़ित है. यह वही क्षेत्र है जहां के किसान सर्वाधिक संख्या में आत्महत्या कर चुके हैं. राज्य में खेती के खराब प्रदर्शन से यहां मंहगाई दर में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है.

हमें यह भलिभांति समझना होगा कि किसानों की समृद्धि, समग्र कृषि विकास का मुख्य आधार है. हमें कृषि की संभावना को समझना होगा. हमें कृषि के महत्व को समझना होगा. हम लाख तरक्की कर लें, विश्वस्तरीय अधोसंरचनाएं तैयार करें, यदि हमारी खेती-किसानी का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है तो इसका बुरा प्रभाव हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में होना ही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!