छत्तीसगढ़बिलासपुर

छत्तीसगढ़: फिर सांप को बंधक बनाया

कोरबा | अब्दुल असलम: छत्तीसगढ़ के कोरबा में फिर से एक सांप को बंधक बनाया गया है. सांप का कसूर यह है कि उसने मोहनलाल पटेल नाम के 30 वर्षीय युवक को काट दिया है. युवक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है तथा उसके परिजन सांप को बंधक बनाये बैठे हैं. उनका तर्क है कि सांप को रोके रखने से उसके काटे को जहर का असर नहीं होता है. इससे कुछ ही दिनों पहले कटगोरा क्षेत्र में ऐसी ही एक घटना घट चुकी है. जिले में सर्पदंश के बाद सर्प को बंधक बनने का ये दूसरी घटना है.

छत्तीसगढ़ की ऊर्जा नगरी कोरबा के निजी अस्पताल के आईसीयू में बिस्तर पर लेटे युवक को जहरीले करैत सर्प ने डस लिया. वहीं परिजनों ने युवक को डसने वाले सर्प को बंधक बना लिया है. यह अजीबोगरीब मामला रजगामार चौकी क्षेत्र के ग्राम प्रेमनगर का है. यहां रहने वाले मोहनलाल पटेल गुरुवार की रात्रि अपने बिस्तर पर सोया हुआ था. रात्रि लगभग 2.30 बजे करैत सांप उसके बिस्तर में चढ़ गया और उसे काट लिया. सर्पदंश के बाद मोहन की हालत बिगड़ गई.

परिजनों ने उसे आनन-फानन में उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया. लेकिन जिला अस्पताल में हालत बिगड़ता देख चिकित्सकों ने उसे रेफर कर दिया. परिजनों ने मोहन को कोसाबाड़ी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया है. बताया जाता है कि मोहन को डसने वाले करैत सांप को परिजनों ने पकड़ लिया है. जिसे एक टोकरी में बंधक बनाकर रखा गया है.

गौरतलब है कि कोरबा जिले में ऐसा ही एक मामला कटघोरा क्षेत्र में पेश आया था. जहां एक 60 वर्षीय लहरीराम नामक ग्रामीण ने सर्प द्वारा डसे जाने के बाद उसे रस्सी से बांध दिया था. इस घटना की पूरी क्षेत्र में चर्चा रही. प्रेमनगर में भी सांप को बंधक बनाकर रखा गया है.

गंभीर मोहन लाल के पिता विशाल पटेल की माने तो सर्प को जब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक की मोहन की हालात ठीक नहीं हो जाये. लोगों की मान्यता व अंधविश्वास अभी भी कायम है. उनका मानना है कि व्यक्ति को अगर सांप काट देता है और सांप को पकड़कर रखा जाए तो सर्पदंश पीडि़त की जान बच जाती है. यहीं कारण है कि इस तरह के मामलों में सांप को पकड़कर रख लिया जाता है.

इधर कोरबा के स्नेक मैन अविनाश यादव को कुछ लोगों ने सूचना दी तो अविनाश यादव सांप को रेस्क्यू करने रजगामार के प्रेम नगर के धेनू चौक स्थित मोहन के घर पहुचा. उसने बंधक सांप को टोकरी से निकालकर एक छेद किये डिब्बे में रख दिया. अविनाश ने मोहन के पिता से सांप को देने की मांग की तो मोहन के पिता ने सांप को उसने बेटे के ठीक होने तक नहीं देने की बात कहीं. रूढ़िवादी मान्यता के कारण अविनाश को पिछले 18 सालो में पहली बार सांप को पकड़ने के बाद घर लाने को नहीं मिला.

रूढ़िवादी मान्यता और झाड़-फूक के चक्कर में ग्रामीण समय पर उपचार नहीं कराकर अपनी जान गवा बैठते हैं. डॉक्टर भी सांप के काटने पर जल्द से जल्द उपचार करने की सलाह दे रहे है ना की झाड़फूक के चक्कर में पड़ने की.

न्यू कोरबा हॉस्पिटल के एमडी मेडिसिन डॉ. आशीष अग्रवाल ने कहा कि मोहन की हालत नाजुक है. विज्ञान भले ही 21 वीं सदी में नई खोज और दवाएं बना रहा हो लेकिन आज भी रूढ़िवादी मान्यता और झाड़-फूक ग्रामीण क्षेत्रों में सिर चढ़ कर बोल रहा है. जब तक यह सोच लोगों के दिमाग में कायम रहेगी तब तक इस तरह बेजुबान सांप बंधक होते रहेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!