छत्तीसगढ़

खत्म हो रहा ‘हाथी’ का वजूद!

रायपुर | एजेंसी: पिछले चुनावों के मुकाबले लगातार घटते जनाधार ने छत्तीसगढ़ में बहुजन समाज पार्टी के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न् लगा दिया है. इस चुनाव में एकमात्र जैजैपुर विधानसभा से ही बसपा प्रत्याशी केशव चंद्रा को जीत मिली है. उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के डॉ. कैलाश साहू को 2579 मतों से पराजित किया.

इस चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत घटकर 4.27 प्रतिशत हो गया है. बसपा ने पूरे 90 विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी उतारे थे.

अविभाजित मध्यप्रदेश में 1993 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 7.75 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 1998 के हुए चुनाव में मत प्रतिशत घटकर 5.72 प्रतिशत ही रह गया. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार हुए चुनाव में बसपा को 4.45 प्रतिशत वोट मिले तो 2008 के आम चुनावों में बसपा का वोट प्रतिशत एक बार फिर बढ़कर 6.11 प्रतिशत हो गया था. तो इस बार बसपा को मिले 4.27 प्रतिशत वोटों से माना जा रहा है कि प्रदेश में हाथी की चाल कमजोर हो चली है.

इसके अलावा पिछले चुनावों में पामगढ़ एवं अकलतरा सीट से बसपा को जीत मिली थी, जो इस बार उन्हें खोनी पड़ी. बसपा की पूर्व विधायक कामदा जोल्हे भी चुनाव हार गईं. इसके पूर्व भी बसपा के कम से कम दो विधायक तो विधानसभा पहुंचते ही रहे हैं, लेकिन इस बार एकमात्र प्रत्याशी की जीत ने हाथी के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाकर रख दिया है.

बसपा के लगातार घटते जनाधार को देखते हुए ऐसा लगता है कि बहुजन समाज पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष दाऊराम रत्नाकर को पार्टी से हटाना महंगा पड़ा. उनके बसपा से हटते ही पार्टी पूरी तरह छिन्न-भिन्न हो गई. लेकिन पार्टी ने प्रदेश में अपनी पकड़ व छबि कायम रखने पूरी कोशिश की और चुनाव से चार-पांच महीने पहले ही किस्तों में प्रत्याशी घोषित कर दिए थे. इसके बाद भी प्रदेश में बसपा की स्थिति सोचनीय हो गई है. इसके अलावा पार्टी प्रमुख मायावती ने सिर्फ एक दिन ही प्रदेश पार्टी को समय दिया था.

वैसे देखा जाए तो प्रदेश में बसपा प्रभावित क्षेत्र मुख्यत: जैजैपुर, पामगढ़, अकलतरा, चंद्रपुर, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा, तखतपुर नवागढ़ एवं सारंगढ़ को माना जाता है. लेकिन इन जगहों पर भी ‘हाथी’ का चिंघाड़ना लगभग बंद हो चला है.

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