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महिलाओं के लिये शिविरों में शर्मनाक स्थिति

सुपौल | समाचार डेस्क: बिहार के सुपौल जिले में आई बाढ़ के कारण लोगों को अपना घर-बार छोड़ कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है. जहां सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को हो रही है. वे यहां भोजन के साथ-साथ अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं, लेकिन महिलाओं के लिए हालात और अधिक बुरे हैं, जिन्हें भूख से अधिक खुले में शौच जैसी शर्मनाक स्थितियों से गुजरना पड़ता है.

सुपौल की रहने वाली मालती और भगवती देवी भी उन हजारों लोगों में शामिल हैं, जो बिहार में आई बाढ़ के कारण अपना घर छोड़कर शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. शिविर में रह रही मालती और भगवती की मुख्य परेशानी भोजन को लेकर नहीं, बल्कि खुले में शौच जैसी असुविधाओं को लेकर है.

कोसी के पूर्वी तटबंध पर अपने परिवार के साथ शिविर रह रही भगवती कहती हैं, “जब बाढ़ के कारण गांव छोड़ना पड़ता है, तो हम जैसी गरीब महिलाओं को शौच, स्नान आदि के लिए ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है. इस सब बातों के बारे में हमारे अलावा कोई और सोच भी नहीं सकता.”

तीन युवा बेटियों की मां मालती कहती है, “हमारे पास कोई उपाय ही नहीं है. दिमाग और आंखें, दोनों बंद करके खुले में शौच आदि के लिए जाना पड़ता है, यह नारकीय स्थिति है.”

बिहार में कोसी, गंडक, बागमती और गंगा नदियों में आई बाढ़ के कारण यहां लोगों को गांव छोड़कर शिविरों में शरण लेनी पड़ी है. ऐसी स्थिति में मालती और भगवती की तरह ही अन्य महिलाओं के लिए भी खुले में शौच बहुत बड़ी समस्या है.

कोसी क्षेत्र में बाढ़ राहत कार्य में शामिल बाढ़ विशेषज्ञ रंजीव ने कहा, “बाढ़ पीड़ितों में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. भोजन से ज्यादा शौच आदि के लिए उन्हें परेशानी उठनी पड़ती है और इस वजह से शर्मनाक स्थितियों से गुजरना पड़ता है.”

कोसी क्षेत्र में ही काम करने वाले बाढ़ राहत कार्यकर्ता महेंदर यादव ने को बताया, “कोई सोच भी नहीं सकता कि नदियों में बाढ़ आ जाने से महिलाओं को किस तरह नित्यकर्म की समस्याओं से गुजरना पड़ता है.”

रंजीव ने कहा कि न परिवार के पुरुष और न सरकार ही महिलाओं की समस्या की तरफ ध्यान देते हैं. बाढ़ राहत शिविरों में अस्थाई शौचालयों की व्यवस्था भी नहीं होती.

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