कलारचना

अनुपम खेर ने गढ़ी हीरो की परिभाषा

नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: भले ही जेएनयू छात्रों को अदालत ने जमानत दे दी है पर अनुपम खेर उससे खुश नहीं हैं. अनुपम खेर ने शुक्रवार को जेएनयू में कुछ छात्रों को संबोधित करते हुये कहा उन्हें कैसे हीरो माना जाये जो देश के खिलाफ बोलते हैं. यह दिगर बात है कि दावा किया जा रहा है कि अदालत ने माना है कि उमर खालिद तथा आनिर्बान भट्टाचार्या के केस में राजद्रोह लागू नहीं होता है. अनुपम खेर ने कहा भारत माता की जय कहना कोई बहस का हिस्सा नहीं है. फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान को छह महीने के लिए जमानत मिलना कुछ खास पसंद नहीं आया है. खेर शुक्रवार को अपनी एक फिल्म के प्रीमियर के सिलसिले में जेएनयू पहुंचे. उन्होंने छात्रों के समूह को संबोधित किया जिसमें अधिकांश का संबंध भाजपा समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से था.

अनुपम ने कहा, “केवल उन्हें हीरो कहा जा सकता है जो देश के पक्ष में बात करते हों. उन्हें कैसे हीरो कहा जा सकता है जो देश के खिलाफ बोलते हों? देखिए, कैसे उनका स्वागत किया जा रहा है. उन्होंने कोई ओलंपिक मेडल नहीं जीता है..उन्हें आज जमानत मिली है.”

जेएनयू के प्रशासनिक ब्लाक के सामने छात्रों से अनुपम ने कहा, “हमने इस राष्ट्र की बुनियाद रखी है. राष्ट्रीय ध्वज हमारे दिलों में है. भारत माता की जय कहना कोई बहस का विषय नहीं है.”

अनुपम को जेएनयू परिसर में 20-25 छात्रों के एक समूह का विरोध भी झेलना पड़ा. छात्रों ने ‘अनुपम खेर गो बैक’ और ‘मोदी के तलवे चाटना बंद करो’ के नारे लगाए.

प्रदर्शनकारियों ने हाथ में नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं. इन पर लिखा था, ‘असहमति देशद्रोह नहीं है’ और ‘आपसे नहीं चाहिए देशभक्ति का सर्टिफिकेट’.

अनुपम ने कहा, “अपने अंदर के हिंदुस्तानी को हमेशा जिंदा रखूंगा. कोई ताकत मुझे इस अहसास से वंचित नहीं कर सकती.”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की. अनुपम ने कहा, “लंबे समय बाद देश को एक अच्छा प्रधानमंत्री मिला है. सूफी समारोह में उनके भाषण से मैं अभिभूत रह गया.”

फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित भी इस मौके पर मौजूद थे.

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