छत्तीसगढ़

बैक्टेरिया को बना दिया एंथ्रेक्स

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में वन विभाग ने बैक्टेरिया को एंथ्रेक्स बता कर दहशत फैली दी है. बिलासपुर के कानन पेंडारी में 22 चीतलों की मौत एंथ्रेक्स से होने की अफवाह वन विभाग ने फैलाई है. एंथ्रेक्स का हौव्वा खड़ा करने वाले राज्य के मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव रामप्रकाश से लेकर वन विभाग के दूसरे अफसर चीतलों की मौत को एंथ्रेक्स से होना बताते रहे. लेकिन हकीकत ये है कि बिलासपुर और दुर्ग के पशु चिकित्सकों में से किसी ने एंथ्रेक्स की पुष्टि नहीं की है.

सीजी खबर के पास कानन पेंडारी में 22 चितलों की मौत को लेकर डॉक्टर आर एम त्रिपाठी, पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, बिलासपुर की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट समेत दूसरे दस्तावेज उपलब्ध हैं.

दस्तावेजों के अनुसार चीतलों के नाक, मुंह, एवं मल द्वार से निकले, बिना जमा हुए डामर के रंग से मिलते-जुलते रक्त का इंप्रेशनस्मेयर तैयार किया गया. उक्त रक्त पट्टी का सूक्ष्मदर्शी परीक्षण कानन पेंडारी के पशु चिकित्सालय में किया गया. उक्त ट्रंकेटेड बैसिलाई जीवाणु सूक्ष्मदर्शी परीक्षण में देखने के पश्चात मृत चीतलों का परीक्षण पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय अंजोरा, दुर्ग के विशेषज्ञों के आने तक रोक दिया गया.

वन विभाग के दस्तावेजों के अनुसार सायं 5.45 बजे पशु पालन महाविद्यालय अंजोरा, दुर्ग के विशेषज्ञों की टीम कानन पेंडारी पहूंची तथा उनके द्वारा भी कानन पेंडारी में चितलों की मृत्यु से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त की गई. इसके बाद मारे गये चीतलों के शव का वाह्य परीक्षण विशेषज्ञों की टीम द्वारा किया गया और मरे हुये चीतलों के कान के टिप को काटकर इंप्रेशनस्मेयर तैयार कर प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया, जिसमें बैसिलाई जीवाणु पाये गये.

लाख टके का सवाल यही है कि विशेषज्ञ जिसे सामान्य बैक्टेरिया यानी बैसिलाई कह रहे हैं, उसे किस आधार पर एंथ्रेक्स बता दिया गया ? मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव रामप्रकाश ने साफ-साफ कहा कि बैसिलाई एन्थ्रेसीस के कारण चीतल मरे हैं. जबकि हकीकत ये है कि पूरी रिपोर्ट में कहीं भी एन्थ्रेसीस के पाये जाने का उल्लेख नहीं है. पशु चिकित्सक अगर एंथ्रेक्स की आशंका जता रहे थे तो उनकी रिपोर्ट में एन्थ्रेसीस पाये जाने का उल्लेख कहीं भी क्यों नहीं है ?

खबर ये है कि वन विभाग के अधिकारी फिलहाल इस बात में जुटे हैं कि बरेली स्थित वन्यप्राणी केंद्र भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधाव परिषद में किसी भी तरह से एंथ्रेक्स की पुष्टि हो जाये. लेकिन खबरें कई हैं. कुछ अफवाह की शक्ल में, कुछ तथ्य की शक्ल में, कुछ तस्वीरों की शक्ल में भी. देखना ये है कि वन विभाग इन सबको झुठलाने के लिये कौन से दांव-पेंच आजमाता है.

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