छत्तीसगढ़

जोगी होंगे कांग्रेस से बाहर ?

नई दिल्ली | संवाददाता : क्या अजीत जोगी कांग्रेस से बाहर होंगे? यह सवाल कांग्रेस की राजनीति में दखल रखने वाले अधिकांश लोगों के सामने है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को लेकर आज कांग्रेस मुख्यालय में गहमागहमी बनी हुई है. सुबह से ही छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव दिल्ली पहुंचे. उनके साथ पार्टी के कुछ दूसरे नेता भी आये हैं.

खबर है कि राहुल गांधी और कांग्रेस की अनुशासन समिति के अध्यक्ष ए के एंटनी इस मामले में कोई पहल कर सकते हैं, ऐसी पहल जिसके लिये भूपेश बघेल और सिंहदेव हफ्ते भर से जुटे हुये थे.

गौरतलब है कि 13 सितंबर 2014 को बस्तर के अंतागढ़ विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ था, जिसमें कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया था. इसी चुनाव से संबंधित एक टेप हाल ही में जारी हुआ है. इस टेप में कथित रुप से मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी रिश्तेदार, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे विधायक अमित जोगी, विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने वाले मंतूराम पवार के बीच कई करोड़ के कथित लेनदेन का उल्लेख है.

इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने कार्रवाई करते हुये मरवाही के विधायक अमित जोगी को पार्टी से 6 साल के लिये निकाल दिया. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को भी प्रदेश कांग्रेस ने 6 साल के लिये पार्टी से बाहर निकालने की अनुशंसा एआईसीसी को भेज दी. प्रदेश कांग्रेस की कोशिश है कि पार्टी अजीत जोगी को भी बाहर करने पर मुहर लगा दे.

लेकिन भूपेश बघेल और सिंहदेव से अलग दिल्ली में ही कांग्रेस से निलंबित विधायक अमित जोगी कांग्रेस पार्टी के कुछ विधायकों के साथ डंटे हुये हैं. उनकी मां और कोटा इलाके की विधायक रेणु जोगी पहले से ही दिल्ली में हैं. जोगी परिवार की कोशिश है कि कांग्रेस आलाकमान से मिल कर न केवल निलंबन रद्द करवाया जाये, बल्कि भूपेश बघेल के खिलाफ कार्रवाई भी की जाये. जोगी परिवार ने कांग्रेस के कई नेताओं से संपर्क किया है लेकिन खबर है कि कहीं से भी जोगी परिवार को हरी झंडी नहीं मिली है. ऐसे में जोगी परिवार की निगाहें राहुल गांधी पर टिकी हुई हैं.

कांग्रेस पार्टी की राजनीति समझने वालों का मानना है कि भूपेश बघेल-सिंहदेव की जोड़ी वाले कांग्रेस पार्टी बनाम जोगी परिवार के बीच शुरु हुआ यह संघर्ष इस बार किसी निर्णायक नतीजे पर पहुंच सकता है. इतना तय है कि यह निर्णय चाहे जिस किसी के पक्ष में होगा, कांग्रेस पार्टी फायदे में रहेगी.

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