राष्ट्र

‘केजरीवाल का व्यवहार अराजक’

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: आप के प्रशांत-योगेन्द्र ने केजरीवाल के व्यवहार को अराजक कहा है. आप के दोनों नेता प्रशांत भूषण तथा योगेन्द्र यादव ने पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि वे अपने निर्णय पार्टी पर थोप देते हैं. आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने शुक्रवार को पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने अराजक व्यवहार करते हुए पार्टी के अंदर विरोधी स्वर को सुनने से इंकार कर दिया. आप नेता योगेंद्र यादव के साथ यहां मीडिया को संबोधित करते हुए प्रशांत ने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाना चाहते थे, जबकि कई इसका विरोध कर रहे थे.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद ऐसी बात की जा रही थी कि आप को कांग्रेस के सहयोग से दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए. राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक बुलाई गई और इसके पांच सदस्यों ने इस पर विरोध जताया तथा चार ने समर्थन किया.”

प्रशांत के मुताबिक, “अरविंद ने कहा कि बतौर राष्ट्रीय संयोजक उनके पास अंतिम फैसला लेने का अधिकार है और उन्होंने दिल्ली में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन लेने का फैसला किया है. हालांकि, हमने इसका विरोध किया और मामला राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समक्ष रखा गया. वहां भी पार्टी के अधिकांश सदस्यों ने इसका विरोध किया. अरविंद ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसे संगठन में काम नहीं किया, जहां उनका आदेश नहीं सुना गया.”

दिल्ली विधानसभा में शानदार जीत के बाद यहां सरकार बनाने वाली आप के नेताओं में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं.

केजरीवाल समर्थक खेमे ने प्रशांत और योगेंद्र पर केजरीवाल को राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, जबकि दोनों ने इससे इंकार किया है.

योगेंद्र ने कहा कि वह और प्रशांत उस आंदोलन की मूल भावना को बचाने के लिए लड़ रहे हैं, जिसने आप को जन्म दिया है.

योगेंद्र ने कहा, “यह एक सामान्य पार्टी नहीं है. यह राजनीतिक तंत्र से गंदगी हटाने, भ्रष्टाचार के खात्मे और सत्ता आम लोगों को सौंपने के एक आंदोलन से जन्मी है. लोगों को इस पार्टी से उम्मीदें हैं. लेकिन पिछले एक महीने हुए में गतिविधि ने कई लोगों को निराश किया है. हम आंदोलन की मूल भावना को बचाने के लिए लड़ रहे हैं, जिसने इस पार्टी को जन्म दिया है.”

दोनों ने पांच मांगों-पार्टी के अंदर पारदर्शिता, पार्टी की स्थानीय इकाइयों को स्वायत्तता, भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकपाल, आप के अंदर आरटीआई के इस्तेमाल और मुख्य मामलों में किसी गुप्त मत का इस्तेमाल नहीं करने पर जोर डाला.

योगेंद्र ने कहा कि यदि पार्टी प्रमुख पांच मांगें मानने के लिए तैयार हैं, तो वह और प्रशांत पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे.

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