राष्ट्र

9 अगस्त: भारत छोड़ो आंदोलन का दिन

नई दिल्ली | एजेंसी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने का काम किया था. यह वह आंदोलन था जिसमें पूरे देश की व्यापक भागीदारी रही थी. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मशहूर घटना काकोरी कांड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त सन् 1942 को महात्मा गांधी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ शुरू हुए आंदोलन ने देखते ही देखते ऐसा स्वरूप हासिल कर लिया कि अंग्रेजी सत्ता के दमन के सभी उपाय नाकाफी साबित होने लगे थे.

क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद गांधीजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था. ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के नारे के साथ शुरू हुए आंदोलन के थोड़े ही समय बाद गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ताओं ने हड़तालों और तोड़फोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन को जिंदा रखा.

कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय रहे. पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना हो गई थी. अंग्रेजों को इस आंदोलन पर काबू पाने में एक वर्ष से भी ज्यादा समय लग गया था.

दूसरे विश्व युद्ध में बुरी तरह घिरे इंग्लैंड की हालत को देख नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज को ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया. गांधी जी ने मौके की नजाकत को भांपते हुए 8 अगस्त 1942 की रात में ही बंबई (अब मुंबई) से ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ व भारतीयों को ‘करो या मरो’ का नारा दिया और सरकारी सुरक्षा में पुणे स्थित आगा खान पैलेस में चले गए.

9 अगस्त 1942 के दिन इस आंदोलन को लालबहादुर शास्त्री ने प्रचंड रूप दे दिया. 19 अगस्त, 1942 को शास्त्री जी गिरफ्तार हो गए.

9 अगस्त 1925 को ब्रिटिश सरकार का तख्ता पलटने के उद्देश्य से क्रांतिकारी बिस्मिल के नेतृत्व में हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ के दस जुझारू कार्यकताओं ने काकोरी कांड को अंजाम दिया था. इसकी यादगार ताजा रखने के लिए पूरे देश में प्रतिवर्ष 9 अगस्त को ‘काकोरी कांड स्मृति-दिवस’ मनाने की परंपरा शहीद भगत सिंह ने शुरू कर दी थी और इस दिन बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे. गांधी जी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत 9 अगस्त 1942 का दिन चुना था.

9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया था. गांधी जी के साथ भारत कोकिला सरोजिनी नायडू को यरवदा पुणे के आगा खान पैलेस में, डा. राजेंद्र प्रसाद को पटना जेल व अन्य सभी सदस्यों को अहमदनगर के किले में नजरबंद किया गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस जनांदोलन में 940 लोग मारे गए, 1630 घायल हुए,18000 डी. आई. आर. में नजरबंद हुए तथा 60229 गिरफ्तार किए गए थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!