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मध्यप्रदेश: 7000 करोड़ का जमीन घोटाला

भोपाल | समाचार डेस्क: मध्यप्रदेश में 7000 करोड़ रुपयों के जमीन घोटाले का खुलासा हुआ है. यह खुलासा एक आरटीआई के द्वारा प्रप्त सूचना के आधार पर हुआ है. आरोप है कि मध्यप्रदेश के भोपाल में गैमन इंडिया के साथ हुये करार के बावजूद भी उसके कहने पर एक 1 लाख रुपयों की कैपिटल वाली दीपमाला कंपनी को फ्री होल्ड के तहत दे दी गई है. यदि भोपाल के इस जमीन को लीज पर दिया जाता तो उससे सरकार को 60 वर्षो में 7000 करोड़ रुपये मिलते. इसी आधार पर जमीन घोटाले का आरोप लगाया गया है. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत 15 एकड़ जमीन के आवंटन में लगभग सात हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. सरकार ने इस जमीन को ‘लीज होल्ड’ की बजाय फिर से ‘फ्री होल्ड’ कर दिया है.

राजधानी के प्रमुख क्षेत्र तात्या टोपे नगर में लगभग 15 एकड़ जमीन राज्य सरकार ने पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत गैमन इंडिया को आवंटित की थी. इस योजना के लिए कुल 29 कंपनियों ने बोली लगाई थी, इनमें से 17 कंपनियों को परियोजना के योग्य पाया गया था, मगर बाजी गैमन इंडिया ने मारी.

सरकार और गैमन इंडिया के बीच 29 नवंबर, 2007 को अनुबंध हुआ और इस अनुबंध के आधार पर गैमन इंडिया ने 338 करोड़ रुपये प्रीमियम के तौर पर देने का वादा किया. इसी बीच गैमन इंडिया ने 17 अप्रैल, 2008 को गृह निर्माण मंडल के आयुक्त को पत्र लिखकर दीपमाला इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को अपनी ‘विशेष कार्य उद्देश्य कंपनी’ के तौर पर बताया.

इस योजना के गैमन इंडिया के हाथ में आने के बाद से राज्य सरकार पर कई तरह के आरोप लगते रहे, क्योंकि सरकार ने इस जमीन को लीज होल्ड से जून, 2012 को फ्री होल्ड कर दिया था, मामले ने तूल पकड़ा और उच्च न्यायालय तक पहुंचा तो सरकार ने अपने फैसले को नवंबर, 2012 में वापस ले लिया. अर्थात जमीन को फिर लीज होल्ड कर दिया गया.

सूचना के अधिकार कार्यकर्ता देवेंद्र प्रकाश मिश्रा ने प्रमाणित दस्तावेज हासिल किया, जिसके मुताबिक सरकार ने एक बार फिर इसी जमीन को जुलाई, 2015 में फ्री होल्ड कर दिया है.

जमीन को फ्री होल्ड किए जाने का आदेश अपर आयुक्त एन.पी. डेहरिया के हस्ताक्षर से जारी किया गया है. डेहरिया ने पूर्व में जमीन को फ्री होल्ड से लीज होल्ड करने के फैसले को निरस्त करते हुए जमीन को फ्री होल्ड कर दिया है.

मिश्रा का आरोप है कि राज्य में किसी भी जमीन के प्रीमियम का साढ़े सात प्रतिशत वार्षिक लीज रेंट लगता है और 30 वर्ष बाद जब लीज का नवीनीकरण कराया जाता है तो यह दर छह गुना हो जाती है. यह लीज भी 30 वर्ष के लिए होती है. इस तरह पहले 30 वर्षो में सरकार को लीज रेंट के तौर पर 750 करोड़ रुपये और अगले 30 वर्ष में 4500 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि प्राप्त होती.

इस तरह सिर्फ लीज रेंट से ही साठ वर्ष में लगभग 5200 करोड़ रुपये मिलते और फ्लोर एरिया रेशियो सहित अन्य राशि को जोड़ा जाए तो वह लगभग 7000 करोड़ रुपये के आसपास बैठती हैं.

मिश्रा का आरोप है कि सरकार का अनुबंध गैमन इंडिया से हुआ था, मगर गैमन इंडिया ने एक नई कंपनी दीपमाला इंफ्रास्टक्चर प्राइवेट लिमिटेड मुंबई में पंजीकृत कराकर उसे विशेष कार्य उद्देश्य कंपनी बताकर काम सौंप दिया. यह सब नियम विरुद्ध हुआ है. मजे की बात तो यह है कि दीपमाला कपंनी की कैपिटल सिर्फ एक लाख रुपये ही थी और उसे यह परियोजना सौंप दी गई.

सरकार द्वारा गैमन इंडिया को दी गई 15 एकड़ जमीन को एक बार फिर फ्री होल्ड किए जाने के आदेश के संदर्भ में राज्य सरकार के प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा व राजस्व मंत्री रामपाल सिंह से संपर्क किया गया, मगर टिप्पणी के लिए वे उपलब्ध नहीं हुए.

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